एसईओ तीन कैरेक्टर से मिलकर बना हुआ है. जिसका मतलब सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (Search Engine Optimization) होता है. एसईओ का इंटरनेट की दुनिया में बहुत ही बड़ी भूमिका है. इसलिए सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन को समझने के लिए सबसे पहले एसईओ को समझना जरूरी है. सर्च इंजन का मतलब इंटरनेट पर मौजूद वैसा साइट जिस पर जाकर जानकारी सर्च किया जाता है, उसे ही सर्च इंजन कहते हैं.
सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन का मतलब सर्च इंजन में अपने वेबसाइट को दिखाने के लिए बेहतर तरीके से करने की प्रक्रिया को एसईओ कहते हैं. सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन यह 3 शब्द किसी भी साइट को सर्च इंजन में बेहतर पोजीशन प्राप्त करने में मदद करते हैं.
एसईओ शब्द का पूरा उपयोग सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन के लिए ही किया जाता है. दुनिया का सबसे बड़ा सर्च इंजन साइट गूगल है. जहां दुनिया के हर एक व्यक्ति आकर किसी चीज की जानकारी खोज करते हैं.
गूगल में जब कोई भी व्यक्ति आकर कुछ भी सर्च करते है, तब गूगल में उसी साइट को दिखाया जाता है, जो पूरी तरह से सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन SEO प्रणाली को सही तरीके से लागू करते हैं.
सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन क्या होता हैं
एसईओ का फुल फार्म सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन होता हैं. एसईओ एक कंटेंट ऑप्टिमाइज करने की प्रक्रिया है. जिसको सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन के नाम से जाना जाता है. सर्च इंजन के अनुसार ऑप्टिमाइज किए गए वेबसाइट्स, ब्लॉग, पोस्ट्स, कंटेंट को ही सर्च इंजन में बेहतर रैंकिंग प्राप्त होता है. इसीलिए सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन किसी भी साइट के लिए बहुत ही जरूरी है.
वर्तमान में गूगल ही एकमात्र सबसे ज्यादा सर्च किया जाने वाला सर्च इंजन साइट है. इसलिए गूगल प्लेटफार्म पर अपने ब्लॉग साइट को नंबर वन पोजीशन पर लाने के लिए एसईओ किया जाता है. क्योंकि हर एक ब्लॉग साइट्स को गूगल सर्च इंजन में पहले पोजीशन पर रैंक कराना होता है।
गूगल में पहले पेज पर रैंक कराने के लिए बेहतर तरीके से सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन करना पड़ता है. यदि आप अपने वेबसाइट को अच्छे तरीके से एसईओ के हिसाब से ऑप्टिमाइज नहीं करते हैं, तो आप गूगल या किसी भी सर्च इंजन में बेहतर रैंकिंग नहीं प्राप्त कर सकते हैं.
दुनिया में सर्च इंजन के हिसाब से अपने ब्लॉग, पोस्ट, साइट को ऑप्टिमाइज करने के लिए लोग एक्सपॉर्ट की भी तलाश करते हैं और उनसे अपने ब्लॉग, कंटेंट या साइट का एसईओ करवाते है।
एसईओ का मतलब
साधारण शब्दों में सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन का मतलब किसी भी ब्लॉग को किसी भी खोज यंत्र में पहले पेज पर पहले पोजीशन पर दिखाने के लिए उपयोग किए जाने वाली टेक्निकल प्रक्रिया को एसईओ कहते हैं।
किसी भी ब्लॉग को सर्च इंजन तभी रीड करता है। जब वह उसके हिसाब से ऑप्टिमाइज होता है। यदि आप अपने ब्लॉग को एसईओ के हिसाब से ऑप्टिमाइज नहीं किए हैं, तो खोज यंत्र आपके ब्लॉग वेबसाइट को नहीं पढ़ पाता है.
एसईओ का परिभाषा
यदि आपका एक ब्लॉग वेबसाइट है और अपने ब्लॉग पोस्ट में कितना भी बेहतर कंटेंट लिखकर डाले हैं. लेकिन यदि आपका कटेंट एसईओ के हिसाब से ऑप्टिमाइज नहीं है, तो वह किसी काम का नहीं है. क्योंकि उसको गूगल या किसी भी सर्च इंजन में बेहतर रैंकिंग ही प्राप्त नहीं होगा. जिसके कारण आपके ब्लॉग आर्टिकल को कोई भी यूजर नहीं पढ़ पाएगा.
क्योंकि कोई भी नए ब्लॉग के बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं. इसीलिए यदि आप सोचते हैं कि आपके ब्लॉग वेबसाइट पर लोग डायरेक्ट आपके वेबसाइट के नाम से सर्च करके आएंगे, तो ऐसा संभव नहीं है. क्योंकि सभी लोगों के पास आपके ब्लॉग वेबसाइट का नाम पता नहीं होता है.
इसीलिए जो भी ब्लॉग है, उसको एसईओ के हिसाब से ऑप्टिमाइज किया जाता है. जिसके बाद आपका ब्लॉग सर्च इंजन में पहले पेज पर या बेहतर स्थान पर रैंक करता है. तब जो भी लोग गूगल में सर्च करते हैं, वह सर्च करके आपके वेबसाइट पर भी विजिट करते हैं। जिससे ब्लॉग भी प्रचलित हो जाता है और उसके बारे में लोग जानने भी लगते हैं। इसीलिए किसी भी वेबसाइट का जान उसमें किया गया एसईओ Optimization होता है.
एसईओ ब्लॉग के लिए क्यों जरूरी हैं
एक उदाहरण से समझते हैं जैसे आप एक बहुत ही अच्छा वेबसाइट्स बनाए हैं और उस पर आप नियमित रूप से बेहतर जानकारी भी पब्लिश करते हैं। लेकिन आपका वेबसाइट से एसईओ के हिसाब से ऑप्टिमाइज नहीं है.
अब आप उस पर नियमित रूप से ब्लॉग पोस्ट लिखकर तो डाल रहे हैं, लेकिन आपका वेबसाइट एसईओ के हिसाब से ऑप्टिमाइज नहीं होने के कारण उस पर किसी खोज यंत्र से ट्रैफिक प्राप्त नहीं होगा. क्योंकि आपका वेबसाइट्स इस प्रणाली के हिसाब से ऑप्टिमाइज नहीं है.
लेकिन जब आप अपने ब्लॉग को एसईओ प्रणाली के हिसाब से ऑप्टिमाइज करते हैं, तब आपका वेबसाइट्स या वेबसाइट में उपलब्ध जो भी ब्लॉग कंटेंट होता है, वे सभी गूगल सर्च इंजन में दिखाई देने लगता हैं.
जिससे जो भी यूजर गूगल में आपके ब्लॉग से संबंधित कीवर्ड को सर्च करता है, तब वहां आपका वेबसाइट दिखाई देता है. जिस पर यूजर क्लिक करके ब्लॉग पर आते है. इसीलिए आपके वेबसाइट को खोज यंत्र ऑप्टिमाइज बनाना जरूरी है.
क्योंकि जब तक सही तरीके से एसईओ फ्रेंडली ब्लॉग नहीं बनाएंगे तब तक वेबसाइट का रैंकिंग गूगल में बिल्कुल बेहतर नहीं होगा.
एसईओ का महत्व क्या हैं
वर्तमान समय में इंटरनेट टेक्नोलॉजी और सर्च इंजन के क्षेत्र में एसईओ का महत्व सबसे ज्यादा है. क्योंकि बिना एसईओ आज किसी भी ब्लॉग, कंटेंट को रैंक नहीं कराया जा सकता है. इसीलिए आज जो भी इस क्षेत्र में काम करने वाले वेबसाइट हैं या उनके जो मालिक हैं, वे सभी लोग इसके लिए बहुत ज्यादा पैसा खर्च करके भी एक बेहतर एसईओ एक्सपॉर्ट को हायर करते हैं.
जिससे अपने ब्लॉग को अच्छी तरह से एसईओ-friendly बनवाते हैं. इसीलिए एसईओ का महत्व आज सबसे ज्यादा है. क्योंकि इसके बिना किसी भी वेबसाइट का सर्च इंजन विजिबिलिटी बहुत ही कम दिखाई देता है.
इसलिए यह एक ऐसा तकनीक है, एक ऐसी प्रक्रिया है, जिससे आप अपने साइट को दुनिया के लोगों के सामने प्रस्तुत कर सकते हैं. यदि आप एक ब्लॉग बनाते हैं और उसके बारे में किसी को जानकारी नहीं है, लेकिन यदि आप उस पर बेहतर कंटेंट पब्लिश करते हैं और उसको एसईओ ऑप्टिमाइज करते हैं, तो कुछ ही दिनों के बाद आपका ब्लॉग वेबसाइट पूरी दुनिया में गूगल, विंग, याहू खोज यंत्र के माध्यम से दुनिया के लोगों के पास पहुंच जाएगा.
बहुत जल्द आप अपने वेबसाइट को दुनिया में आगे बढ़ा पाएंगे. जिससे उसपर बहुत ही ज्यादा ऑर्गेनिक ट्रैफिक भी आएगा. आपका ब्लॉग गूगल के नंबर वन पोजीशन पर रैंक भी करेगा. इसीलिए गूगल के पहले पेज पर दिखाई देने के लिए उस पर बने रहने के लिए बेहतर कंटेंट और उसके साथ ही ऑप्टिमाइज पोस्ट ब्लॉग पर होना चाहिए.
एसईओ Optimization
आज किसी भी चीज के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए लोग गूगल सर्च का उपयोग करते हैं. अब वहां पर जो भी जानकारी लोग प्राप्त करते हैं, वह किसी न किसी वेबसाइट द्वारा करते हैं. इसीलिए अगर आपका साइट वहां पर सबसे ऊपर दिखाई देगा, तो लोग उसको ही पढ़ेंगे.
जो भी यूजर गूगल सर्च में आते हैं वे किसी भी कीवर्ड को सर्च करते हैं. वहां पर जो सबसे ऊपर ब्लॉग दिखाई देता है उसी पर ज्यादातर विजिट करते हैं. इसलिए एसईओ बेहतर होना जरूरी है.
एक ही चीज के बारे में कई वेबपोर्टल पर जानकारी दी जाती हैं लेकिन उनमें से वही सबसे बेहतर रैंक प्राप्त करती हैं जो और साइट के तुलना में बेहतर एसईओ ऑप्टिमाइज कंटेंट पब्लिश करती हैं.
एसईओ वेबसाइट पर ऑर्गेनिक ट्रैफिक बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण जरिया भी है. बेहतर एसईओ स्ट्रेटजी अपना करके आप अपने कंमपीटीटर से सर्च इंजन पेज पर आगे निकल सकते हैं.
एसईओ के प्रकार
- On-Page एसईओ
- Off-Page एसईओ
- Local एसईओ
1. ऑन पेज एसईओ क्या हैं
ऑन पेज एसईओ अपने वेबसाइट या पोस्ट के अंदर की जाने वाली एक तकनीकी प्रक्रिया है. जिससे हम अपने पोस्ट या वेबपोर्टल को सर्च इंजन के अनुसार ऑप्टिमाइज करते हैं. ऑन पेज एसईओ में वेबसाइट में कीवर्ड का सही तरीके से इस्तेमाल करते हैं.
पोस्ट के अंदर हेडिंग, कीवर्ड, टाइटल, टैग, डिस्क्रिप्शन, यूआरएल इत्यादि को सही तरीके से ऑप्टिमाइज करते हैं. किसी भी वेबसाइट या ब्लॉग पोस्ट को बेहतर रैंकिंग प्राप्त करने के लिए सबसे पहले हम ऑन पेज सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन करेंगे. क्योंकि ऑन पेज एसईओ द्वारा किसी भी ब्लॉग को गूगल सर्च या किसी भी सर्च इंजन में बेहतर रैंकिंग प्राप्त कर पाएंगे.
ऑन पेज एसईओ में हम अपने ब्लॉग के डिजाइन उसके बनावट इत्यादि को सही तरीके से ऑप्टिमाइज करते हैं. साथ ही साथ हम अपने ब्लॉग वेबपोर्टल को एसईओ-friendly बनाते हैं. जिसमें सर्च इंजन के बनाए गए नीतियों का पालन भी करेंगे. जिससे कि हमारा ब्लॉग वेबसाइट बेहतर रैंकिंग प्राप्त कर सके. ऑन पेज एसईओ में वेबसाइट के लोगो, नाम, टाइटल, डिस्क्रिप्शन, स्पीड इत्यादि को ऑप्टिमाइज करेंगे.
On Page एसईओ कैसे करते हैं
किसी भी ब्लॉग पोस्ट में ऑन पेज एसईओ कैसे करें इसके बारे में जानना सबसे जरूरी है. क्योंकि जब तक आप किसी ब्लॉग या पोस्ट को एसईओ-friendly कैसे बनाएं की पूरी जानकारी प्राप्त नहीं करेंगे. तब तक आप किसी भी वेबपोर्टल को अच्छे से ऑप्टिमाइज नहीं कर पाएंगे.
1. वेबसाइट डिजाइन
किसी भी ब्लॉग का बेहतर डिजाइन सबसे जरूरी है. क्योंकि एक बेहतर तकनीक से बनाया गया वेबसाइट किसी भी सर्च इंजन में बेहतर एसईओ रैंकिंग प्राप्त करता है. वेबसाइट का बनावट और उसका डिजाइन बेहतर क्वालिटी का होना चाहिए. जिसके लिए आप किसी बेहतर थीम का चयन भी करें. या फिर स्वयं एक बेहतर डिजाइन करके वेबपेज बना सकेंगे.
2. वेबसाइट स्पीड
एसईओ-friendly ब्लॉग में वेबसाइट का स्पीड आज एक बहुत बड़ा रैंकिंग फैक्टर है इसीलिए स्पीड अच्छे से ऑप्टिमाइज होना चाहिए. कोई भी बेहतर ब्लॉग कम से कम 4 से 5 सेकेंड के अंदर ओपेन हो जाना चाहिए. वैसे गूगल का जो गाइडलाइन है उसके हिसाब से कम से कम 3 सेकंड में ही आपका साइट ओपेन हो जाना चाहिए. गूगल के गाइडलाइन के हिसाब से आज बेहतर रैंकिंग के लिए Core Web Vital को भी पास करना जरूरी है.
यदि आपका वेबसाइट ओपेन होने में ज्यादा समय लेता है, तो इसका इफेक्ट ब्लॉग पर पड़ेगा. गूगल के पास भी इसका सिग्नल चला जाएगा. जिससे आपका रैंकिंग भी डाउन हो सकता है तथा आपके वेबसाइट पर नेगेटिव इंपैक्ट भी पड़ेगा.
ब्लॉग का स्पीड बेहतर करने के लिए सबसे जरूरी है बेहतर होस्टिंग का प्रयोग करना. कम से कम प्लगिंस का उपयोग करना. अपने ब्लॉग में इमेज को अच्छी तरह से ऑप्टिमाइज करके डालना भी जरूरी है. वेबसाइट में कैचे प्लॉगइन का उपयोग करके भी एसईओ फास्ट बना पाएंगे.
3. वेबसाइट का नेविगेशन
जब कोई भी यूजर आपके ब्लॉग पर विजिट करेगा, तो यूजर को आसानी से किसी एक पेज से दूसरे पर जाने के लिए वेबसाइट अच्छी तरह से ऑप्टिमाइज होना भी जरूरी है. आप अपने साइट पर अच्छे से मेनू बार का उपयोग करें ताकि कोई भी विजिटर आपके वेबपेज पर एक पेज से दूसरे पेज पर जाना चाहे तो आसानी से नेविगेट कर सके. ये एसईओ के लिए बहुत ही जरूरी हैं.
4. Robot.txt फाइल
On Page एसईओ में robot.txt एक बहुत ही महत्वपूर्ण File है क्योंकि इससे आपके वेबसाइट पर आने वाले जो भी क्रॉलर होंगे उसको गाइड किया जाता है कि आप हमारे ब्लॉग से किस-किस सूचनाओं को पढ़ सकेंगे.
उसको आप अपने खोज यंत्र में इंडेक्स कर पाएंगे. Robot.txt फाइल में हम जितने भी रोबोट क्रॉलर होते हैं उसको गाइड करते हैं कि आप हमारे किस पेज को विजिट कर सकते हैं और किस चीज को विजिट नहीं कर सकते हैं.
इन सभी चीजों की जानकारी हम Robot.txt फाइल में देते हैं जिससे जब क्रॉलर हमारे ब्लॉग पर आते हैं तो सबसे पहले robot.txt फाइल को रीड करते हैं. और उसके बाद ही दिए गए गाइडलाइन के अनुसार हमारे साइट में उपलब्ध पेज या पोस्ट को क्रॉल करते हैं. Robot.txt के माध्यम से हम क्रॉलर को यह बताते हैं कि आप हमारे वेबपेज में उपलब्ध पोस्ट, पेज, इमेज, वीडियो, वेबसाइट होमपेज इत्यादि को कॉल करें.
तथा इसी फाइल में हम यह भी बताते हैं कि आप हमारे कैटेगरी, टैग, इत्यादि पेज को क्राल या इंडेक्स नहीं करें.साधारण शब्दों में robot.txt फाइल में हम किसी भी क्रॉलर को यह गाइड कर सकते हैं कि आप हमारे किस सामग्री को कॉल कर सकते हैं और किसे नहीं कर सकते हैं इसके बारे में हम जानकारी देते हैं.
5. Post Updation
एसईओ-friendly ब्लॉग बनाना या ब्लॉग पोस्ट लिखने से ही काम नहीं होता है. यदि आप चाहते हैं कि आपका वेबपेज या ब्लॉग पोस्ट गूगल में हर समय बेहतर रैंकिंग प्राप्त करें. तो उसके लिए जरूरी है कि उसको नियमित रूप से अपडेट करें.
क्योंकि जब तक आप अपने ब्लॉग पोस्ट को अपडेटेड नहीं रखेंगे तब तक वह बेहतर रैंकिंग प्राप्त नहीं कर सकता है. इसीलिए जो भी ब्लॉग पोस्ट है उसमें जो भी नई जानकारी है उसको अपडेट करें. तभी आप अच्छे रैंकिंग प्राप्त कर सकते हैं. किसी भी ब्लॉग पोस्ट को एक महीने के अंदर एक बार जरूर अपडेट करना चाहिए. जिससे उसमें किसी प्रकार की बदलाव की आवश्यकता है तो उसको आप पढ़ कर एसईओ कर सकते हैं.
6. Post date updation
गूगल सर्च में बेहतर एसईओ रैंकिंग के लिए Post Date Updation एक बहुत ही बेहतर प्रक्रिया है. क्योंकि जब आप किसी भी पोस्ट को अपडेट करते हैं तो उसका अपडेटेड डेट यूजर को दिखाई देना चाहिए. तथा सर्च इंजन को भी दिखाई देना चाहिए.
जिससे यूजर और और सर्च इंजन दोनों को यह सिग्नल जाता है कि आपका ब्लॉग पोस्ट अपडेटेड है. इसीलिए आप अपने साइट या ब्लॉग पोस्ट में अपडेटेड डेट जरूर शो करवाएं.
यह इसलिए जरूरी है कि यदि आप 2 साल पहले किसी पोस्ट को पब्लिश किए हैं. और उस पोस्ट को आप आज ही अपडेट किए हैं लेकिन उस पर डेट 2 साल पहले का ही दिखाई दे रहा है तो चाहे आप पोस्ट को आज ही अपडेट किए हैं. लेकिन उसको कोई भी यूज़र या सर्च इंजन 2 साल पहले का ही अपडेटेड डेट समझता है.
7. Keyword research –
जिस भी टॉपिक के बारे में लिखना हैं. उसके बारे में Google Ad word Planner में उस वर्ड को रिसर्च करना चाहिए कि कितने लोग उस वर्ड के बारे में Search करते हैं. उसका CPC कितना हैं. किसी भी Keyword को गूगल में Rank कराने के लिए Long tail Keyword का उपयोग करना चाहिए.
8. वेबसाइट टाइटल –
ब्लॉग का टाइटल या किसी पोस्ट का टाइटल बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी को पढ़कर कोई भी विजिटर आपके वेबसाइट पर विजिट करता है. इसीलिए जब भी आप टाइटल लिखे तो एक एसईओ दोस्ताना अच्छे शब्दों का चयन करें. जिसको पढ़ने के बाद कोई भी विजिटर उसको क्लिक करें और उस पोस्ट को पूरा पढ़ें.
9. Use main keyword in Url –
जिस कीवर्ड को हम लोग गूगल में Rank कराना चाहते हैं. उस Main Keyword को यूआरएल में जरूर उपयोग करें.
10. Use main keyword in starting 150 words –
किसी टॉपिक के बारे में जब हम लोग शुरुआत करते हैं. तो शुरू से 150 शब्दों के बीच मेन कीवर्ड को इस्तेमाल करना चाहिए. पहले पाराग्राफ में मेन कीवर्ड को 2 बार जरूर लिखें. ये एसईओ का गाईड लाइन भी हैं. और कीवर्ड के कुछ मुख्य शब्दों को एक बार प्रयोग करें.
11. Use H1 H2 H3 Heading in post –
पोस्ट में उसका हेडिंग बहुत ही महत्वपूर्ण होता हैं. इसलिए किसी पोस्ट को rank करने के लिए उसका हेडिंग H1, H2, H3 का प्रयोग अच्छा से करें. टाइटल में हेडिंग वन का H1 का प्रयोग होता हैं. टॉपिक के फर्स्ट हेडिंग को H2 दिया जाता हैं. और बाकी को H3 हेडिंग देना चाहिए.इससे एसईओ अच्छा होता हैं.
12. Image optimization in एसईओ –
किसी भी पोस्ट में एक इमेज का होना बहुत जरूरी होता हैं. इसलिए पोस्ट में एक इमेज अच्छा सा जरूर लगाएं, और उस इमेज का ऑल टेक्स्ट में मेन कीवर्ड्स का उपयोग जरूर करें.
13. Keyword stuffing –
पोस्ट के अंदर मेन keyword को बार-बार ज्यादा उपयोग नहीं करना चाहिए.
14. External links –
पोस्ट में किसी भी दूसरे ब्लॉग का लिंक जरूर दें. किसी वैसे वेबपेज का लिंक देना चाहिए जो काफी प्रसिद्ध और उसका रैंकिंग गूगल में अच्छा हो.
15. Internal links –
किसी पोस्ट में आपके द्वारा लिखा गया और अन्य पोस्टों का लिंक ऐड करें. जैसे इस पोस्ट से संबंधित और पोस्ट आपके द्वारा पहले लिख गया हो तो, उसका लिंक पोस्ट में जरूर दें. इससे वेबसाइट का बाउंस रेट कम होता हैं.
16. URL inspection –
किसी पोस्ट को लिखने के दो दिन बाद गूगल में उस पोस्ट का यूआरएल कापी करके गूगल में जाकर पेस्ट करें. उसके बाद वहॉं पर यदि पोस्ट दिख रहा हैं. तो वह पोस्ट गूगल में रैंक हुआ हैं.
17. Quality content –
किसी भी पोस्ट को गूगल में रैंक कराने के लिए उस पोस्ट का क्वालिटी अच्छा होना चाहिए. उसमें प्रयोग किए गए Content किसी दूसरे का कॉपी नहीं होना चाहिए. उस पोस्ट में यूनीक कंटेंट लिखना चाहिए.
18. Content length –
ब्लॉग पोस्ट को रैंक कराने में उसका content-length भी बहुत बड़़ा़ भूमिका अदा करता हैं. किसी भी पोस्ट में किसी टॉपिक के बारे में बहुत ही क्लियर जानकारी देना चाहिए. और उसका लिंक कम से कम 600 शब्दों या 1000 शब्दों से अधिक और 3000 तक का होना चाहिए.
19. Meta description –
वेबपेज के पोस्ट को Rank कराने में Meta Description काफी महत्वपूर्ण भूमिका होता हैं. मेटा डिस्क्रिप्शन में मेन कीवर्ड्स को एक बार जरूर लिखना चाहिए.
20. Focus keyword –
टॉपिक का मेन कीवर्ड जो होता हैं. उसको पाराग्राफ बदलने पर हर एक हेडिंग में मेन कीवर्ड का उपयोग करें.
21. Crawl errors check –
कभी कभी किसी पोस्ट को publish करने के बाद technical error के कारण पोस्ट गूगल में रैंक नही कर पाता हैं. उसको Google Console में चेक करके ठीक कर देना चाहिए.इससे एसईओ अच्छा होता हैं.
22. SSL Certificate –
अपनी साइट में एसएसएल सर्टिफिकेट को इंस्टॉल कर के एचटीटीपीएस पर ओपन करें.
23. Fix broken links – एसईओ
जब हम लोग लगातार अपने साइट में पोस्ट को डालते रहते हैं उसके बाद कभी-कभी ब्लॉग के अंदर कुछ ऐसा लिंक होता है जो कि ओपन नहीं होता है जिसके कारण जब कभी कोई यूज़र उस लिंक को ओपन करता है तो वहां पर error दिखने लगता है इसी को ब्रोकन लिंक कहते हैं इसलिए अपने साइट का ब्रोकन लिंक को समय-समय से जरूर चेक करते रहना चाहिए.
ब्रोकन लिंक को फिक्स नहीं करने के कारण यूज़र आपके साइट को छोड़ करके चला जाता है और आपका वेबसाइट का बाउंस रेट भी बढ़ जाता है साथ ही साथ गूगल के नजर में भी नेगेटिव इंपैक्ट चला जाता है.
2. ऑफ पेज एसईओ कैसे करें
ऑफ पेज एसईओ हम अपने साइट पर नहीं करते हैं बल्कि हमारे साइट से संबंधित जो भी दूसरे साइट होते हैं उन साइट पर ऑफ पेज एसईओ करते हैं. जिसके लिए कई प्रकार के तकनीक का उपयोग करते हैं.
किसी भी वेबसाइट को गूगल में रैक कराने के लिए जरूरी है केवल ऑन पेज एसईओ ही काफी नहीं हैं. बल्कि उसके साथ ऑफ पेज एसईओ भी उतना ही महत्वपूर्ण हैं जितना ऑन पेज एसीईओ हैं. ऑफ पेज एसईओ करने के लिए नीचे कुछ तरीका बताया गया हैं.
1. वेबसाइट साइटमैप
अपने ब्लॉग का साइटमैप सारे सर्च इंजन साइट में सबमिट करना चाहिए. ऑफ पेज एसईओ का सबसे महत्वपूर्ण साइट का साइटमैप सबमिट करना है. यदि आप गूगल में ही अपने साइट को रैक कराना चाहते हैं तो उसके लिए आप अपने साइट के साइटमैप को गूगल सर्च कंसोल में जा करके सबमिट करें.
वहां पर अपनी साइट का ओनरशिप भी वेरीफाई करें. इसी तरह से जितने भी सर्च इंजन है उन सभी में आप अपने साइट का साइटमैप सबमिट करें तभी आपका साइट खोज यंत्र में क्रॉल और इंडेक्स होगा. जिसके बाद आपका साइट का रैंकिंग भी बेहतर होगा.
2. सोशल मीडिया पर अकाउंट क्रिएट करके एसईओ करें
जितने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है उन सभी पर आप अपने साइट के नाम से पेज क्रिएट करें. पेज क्रिएट करने के बाद आप उस पर नियमित रूप से साइट के ब्लॉग पोस्ट को भी शेयर करें. जिससे आपका ब्लॉग का रैंकिंग इंप्रूव होगा. साइट का और अथॉरिटी भी इनक्रीस होगा. सोशल मीडिया का मुख्य रूप से उपयोग कर सकते हैं जैसे कि फेसबुक, टि्वटर, लिंकडइन, कोरा इत्यादि.
3. डू फॉलो बैंकलिंक क्रिएट करें
आपका वेबसाइट जिस कैटेगरी का है उसी कैटेगरी से संबंधित जो भी पुराना ब्लॉग है. जो नियमित रूप से काम रहे हैं. जिसके साइट का डोमिन अथॉरिटी बेहतर है. ट्रैफिक अच्छा है. उस ब्लॉग पर जाकर के आप गेस्ट पोस्टिंग के लिए ऑफर कर सकते हैं.
जिसके माध्यम से आप डू फॉलो बैंकलिंक अपने ब्लॉग के लिए बना सकते हैं. ब्लॉग को बहुत जल्द गूगल में एसईओ कराने के लिए डू फॉलो बैकलिंक्स का मुख्य भूमिका होता है. इसीलिए बेहतर ब्लॉग के साथ डू फॉलो बैकलिंक्स क्रिएट करना चाहिए.
4. नो फॉलो बैकलिंक क्रिएट करें
आपके वेबसाइट से संबंधित सिमिलर जो भी साइट है उस साइट पर जाकर कमेंट बॉक्स में नो फॉलो बैकलिंक बना सकते हैं नो फॉलो बैकलिंक्स भी ब्लॉग के लिए बहुत ही जरूरी है और एसईओ के हिसाब से भी एक बेहतर तरीका है जिससे आप अपने ब्लॉग के लिए नो फॉलो बैकलिंक्स बना सकते हैं.
3. लोकल एसईओ क्या है
लोकल एसईओ का मतलब होता है कि आप अपने किसी पार्टिकुलर क्षेत्र में ही अपने ब्लॉग को रैंक करना चाहते हैं जिससे कि आपके जो लोकल क्षेत्र के लोग हैं वे आपके साइट द्वारा जुड़े.
और सेवाओं का लाभ ले सके. Local एसईओ तब किया जाता है जब किसी ब्लॉग को किसी खास लोकेशन के लिए ही बनाया गया होता है.
जिससे कि उस क्षेत्र के लोग साइट से बेहतर तरीके से लाभ ले सकते हैं. यदि आप चाहते हैं कि अपने ब्लॉग को किसी खास क्षेत्र में ही रैंक करें तो उसके लिए Local एसईओ करते है।
जैसे कोई रेस्टोरेंट है और वे अपने क्षेत्र में ब्लॉग के माध्यम से लोगों को जानकारी शेयर करते हैं वे ज्यादा से ज्यादा चाहेंगे कि उनका ब्लॉग उसी लोकल एरिया में ही रैंक करें. जिससे लोगों को जानकारी मिल सके कि यहां पर एक रेस्टोरेंट उपलब्ध है और वहां पर इस तरह की खाने की सुविधा दी जाती है।
लोकल एसईओ करने के लिए ब्लॉग में लोकेशन एवं लैंग्वेज इत्यादि सब कुछ सेट करके किसी खास जगह पर रैंक करने के लिए ऑप्टिमाइज किया जाता है.
एसईओ के कुछ महत्वपूर्ण पॉइंट
किसी भी साइट को गूगल में या किसी भी सर्च इंजन में बेहतर रैंकिंग के लिए सबसे जरूरी है कि ब्लॉग के अंदर हम कुछ सेटिंग करें. जिससे हम गूगल को यह बता सकते हैं कि आप हमारे किस चीज को इंडेक्स कर सकते हैं और किसे इंडेक्स नहीं कर सकते हैं.
इसके लिए हम Rankmath में या जो भी एसईओ प्लगिंस का उपयोग करते हैं उसमें हम सेटिंग कर सकते हैं. जिसमें हम बताएंगे कि आप हमारे ऑथर प्रोफाइल को इंटेक्स नहीं करें. जिसके लिए हम नोइंडेक्स सेट करेंगे.
ठीक इसी प्रकार हम अपने Rankmath प्लगिंस में बेहतर एसईओ के लिए कैटेगरी, Paginated Page, टैग, सर्च क्वेरी, इत्यादि जो भी जानकारी है उसको नोइंडेक्स करेंगे. जिससे जब गूगल के क्रॉलर या कोई भी क्रॉलर आएंगे तो वह इन सभी चीजों को इंडेक्स नहीं करेंगे.
इन सभी चीजों को नोइंडेक्स करने का सबसे बड़ा कारण है कि यदि आप इसको नोइंडेक्स नहीं रखते हैं तो यह सभी जानकारी भी गूगल सर्च कंसोल में Index हो जाते हैं। जिससे आपके ब्लॉग पोस्ट के डुप्लीकेट कॉपी बनने का समस्या उत्पन्न हो सकता है.
जिसके कारण आपका जो यूनीक कंटेंट है। वह भी डुप्लीकेट कॉपी के रूप में तैयार हो जाता है। जिससे आपका रैंकिंग खराब हो सकता है। इसीलिए कभी भी टैग, कैटेगरी, paginated पेज, सर्च पेज इत्यादि को नोइंडेक्स करके रखना चाहिए.
एसईओ और SEM में अंतर
एसईओ का मतलब सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन से है. जो कि एक ब्लॉग को ऑप्टिमाइज करने के लिए प्रोसेस किया जाता है. जब भी किसी पोस्ट या साइट को बनाया जाता है तो उसको एसईओ फ्रेंडली बनाने के लिए उसको ऑप्टिमाइज किया जाता है. जो कि एसईओ का ही एक प्रक्रिया है.
जिससे ब्लॉग या पोस्ट को गूगल में आसानी से रैंक कराया जाता है. SEM का मतलब सर्च इंजन मार्केटिंग होता है. यह एक Search Engine मार्केटिंग स्ट्रेटजी का हिस्सा है. जिससे किसी ब्लॉग को खोज यंत्र में रैंक कराने का प्रयास किया जाता है.
यह एक ऐसा तरीका है जिससे आप अपने साइट को लोगों के बीच पॉपुलर कर सकते हैं जिसके लिए आप एडवर्टाइजमेंट का सहारा ले सकते हैं जो कि एक खोज यंत्र मार्केटिंग का ही स्ट्रेटजी है. SEM में ब्लॉग पर ट्रैफिक लाने के लिए एसईओ कई तरीकों का उपयोग किया जाता है और उससे ट्रैफिक लाने का प्रयास किया जाता है.
जबकि सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन में बिना पैसा खर्च किए फ्री में ट्रैफिक लाने के लिए साइट या पोस्ट को optimize किया जाता है.
एसईओ कैसे सीखें
वैसे सामान्य तौर पर सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन के बारे में यहां पर जानकारी दी गई है. लेकिन एसईओ एक ऐसा चीज है जिसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास करना पड़ता है. क्योंकि इसमें समय समय से बदलाव भी होते रहता है।
गूगल के जो भी algorithms हैं वे समय-समय से बदलते रहते हैं जिसके कारण आपको अपने ब्लॉग में भी उसके हिसाब से बदलाव करना पड़ता है। इसीलिए एसईओ ऐसा प्रोसेस है। जिसको निरंतर सीखने की जरूरत है और जब आप निरंतर इसको सीखेंगे तभी आप अपने ब्लॉग पोस्ट को अच्छे से ऑप्टिमाइज कर सकेंगे
समय के हिसाब से आपको जो भी बदलाव होते हैं। उस बदलाव को सीखना पड़ता है. और उसके बाद उसको आप अपने जब वेबसाइट या पोस्ट में इंप्लीमेंट करते हैं। तभी आप हर समय अपने ब्लॉग को बेहतर तरीके से एसईओ ऑप्टिमाइज कर पाएंगे.
FAQ
एसईओ का फुल फॉर्म
एसईओ का फुल फॉर्म सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन होता है. जोकि एक ब्लॉग के लिए सबसे जरूरी होता है. क्योंकि इसके बिना किसी भी ब्लॉग को किसी खोज यंत्र में रैंक नहीं कराया जा सकता है.
गूगल में रैंक कैसे करें
साइट को अच्छी तरह से ऑप्टिमाइज करें. सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन सीखें क्वालिटी कंटेंट लिखें.
एसईओ एक्सपर्ट कैसे बने
SEO के बारे में बेहतर जानकारी प्राप्त किया जा सकता है लेकिन एक्सपर्ट बनने के लिए निरंतर सीखना पड़ता है. क्योंकि इसमें समय से बदलाव होते रहता है.
एसईओ किसे कहते हैं
किसी ब्लॉग पोस्ट या साइट को सर्च इंजन के हिसाब से ऑप्टिमाइज करने की तकनीकी प्रक्रिया को ही एसईओ कहते हैं.
मेरा नाम रवि शंकर तिवारी है और मैं एक MBA (IT) Professional हॅू। जो पिछले 5 वर्षो से एक लेखक और डिजिटल मार्केटर के रूप में काम कर रहा हूँ। टेक्निकल बैकग्राउंड होने के कारण टेक्नोलॉजी, कंप्यूटर, ऑनलाइन कमाई, से संबंधित जानकारियों को शेयर करना मेरा पैशन हैं।