अक्सर नए ब्लॉगर या पुराने ब्लॉगर वेब होस्टिंग को लेकर के बहुत कन्फ्यूजन में रहते हैं उनके मन में तरह-तरह के सवाल आता है.
वेब होस्टिंग क्या हैं
वेब होस्टिंग एक ऐसा जगह होता है जहां पर ऑनलाइन सारे डाटा को स्टोर करके रखा जाता है. जैसे घर में कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है उसी तरह से किसी भी कंप्यूटर को वेब होस्टिंग के लिए उपयोग किया जाता है.
लेकिन वैसे कंप्यूटर जिस पर आप वेब होस्टिंग के लिए उपयोग करना चाहते होंगे उसको 24 * 7 घंटे चालू रखना पड़ेगा।उसमें इंटरनेट कनेक्टिविटी भी 24 * 7 घंटे रखना पड़ेगा जिस कंप्यूटर पर वेब होस्टिंग का उपयोग किया जाएगा, उस कंप्यूटर पर हाई स्पीड इंटरनेट की सुविधा होना चाहिए।
क्योंकि जिस वेबसाइट का डाटा होस्टिंग पर रखा जाएगा वहां से डाटा जब कोई यूजर एक्सेस करेगा तो उस समय उस वेब सर्वर पर हाई स्पीड इंटरनेट होना चाहिए।
- वेबसाइट कैसे बनाएं
- कंप्यूटर फंडामेंटल इन हिन्दी
बहुत ही आसान भाषा में हम लोग समझे तो वेब होस्टिंग एक प्रकार का जगह होगा. जहां पर हम लोग अपने वेबसाइट के डाटा फाइल इमेज को स्टोर करते हैं. जब कभी भी किसी यूजर द्वारा इंटरनेट पर साइट पर जाकर किसी भी इंफॉर्मेशन को सर्च किया जाता हैं.
वेब होस्टिंग
वेब होस्टिंग द्वारा उस डाटा को फिर से क्लाइंट्स यूजर के पास भेजा जाता हैं. आसान भाषा में हम लोग उदाहरण से समझेंगे. जैसे हम लोग एक मकान बनाते हैं. उसमें हम लोगों का अपना सामान घर का जितना भी होगा.
वहां पर रख देंगे. अब जब किसी व्यक्ति को किसी सामान की आवश्यकता होगी तो हम लोगों के पास संदेश भेजेेेगा, कि आपके घर से मुझे यह सामान चाहिए. फिर हम लोग अपने घर से उस सामान को उस व्यक्ति के पास भेज देंगे.
उसी तरह से जब कोई व्यक्ति वेबसाइट को सर्च करके किसी भी इंफॉर्मेशन को वहां पर पाना चाहेगा, तो जब वह क्लिक करता हैं, तो रिक्वेस्ट वेब होस्टिंग सर्वर के पास जाता हैं. वहां से डाटा यूजर के कंप्यूटर पर दिखने लगेगा. इसी को हम लोग वेब होस्टिंग कहते हैं. साइट के जितने भी डाटा होते हैं. उस डाटा को रखने के लिए वेब होस्टिंग लेना चाहिए.
Hosting
होस्टिंग का मतलब मेजबानी करना होगा. जब कोई भी व्यक्ति अपने घर या कहीं पर भी लोगों का स्वागत करता है, तो उसको मेजबान कहा जाता है. अंग्रेजी में उसको होस्ट कहा जाता है. होस्ट शब्द से होस्टिंग बना है.
जो भी वेबसाइट बनाया जाएगा, उसका जो भी डाटा होगा जैसे कि टैक्स, इमेज, वीडिओ, फोटोज इन सभी को रखने के लिए जो जगह होगा, उसी जगह को वेब होस्टिंग के नाम से जाना जाता है.
वेब होस्टिंग के प्रकार
- Shared Hosting
- VPS hosting
- Dedicated hosting
- Cloud hosting
1. शेयर्ड
शेयर्ड एक बहुत ही साधारण लेवल का होस्टिंग होता है. जिसमें एक ही वेब होस्टिंग पर कई सारे ब्लॉग को host किया जाता है. एक उदाहरण से समझेंगे जैसे आपके पास एक कंप्यूटर है. उस कंप्यूटर पर 100 लोगों को आप कंप्यूटर सिखाने के लिए समय देंगे या उससे अधिक लोगों को भी आप एक ही कंप्यूटर पर कंप्यूटर सीखने के लिए समय दे सकते हैं. उसमें किसको कितना समय मिलेगा इसका कोई गारंटी नहीं है.
हो सकता है किसी को 1 मिनट मिले. किसी को 5 मिनट मिले. फिर किसी दिन उन 100 लोगों में से 5 ही लोग आए, तो पॉंच लोगो को पूरा समय मिल जाएगा। ठीक इसी प्रकार शेयर्ड भी काम करेेेगा. जैसे शेयर्ड में एक ही कंप्यूटर पर कई सारे वेबपेज को होस्ट किया जाता है. जिसके लिए किसी प्रकार का कोई फिक्स सिस्टम कंफीग्रेशन नहीं दिया जाता है. शेयर्ड में कई सारे वेबसाइट का डाटा स्टोर करके रखा जाता है.
शेयर्ड होस्टिंग प्लान
कंपनियों द्वारा शेयर्ड होस्टिंग का 3 प्लान दिया जाता है. उन 3 प्लान में कुछ अलग अलग कंफीग्रेशन के हिसाब से आपके साइट के लिए अलग-अलग सुविधाएं भी दिया जाएगा। जब आप वेब होस्टिंग खरीदें, उस समय इसमें आप इन चीजों को जरूर ध्यान में रखें कि 1 महीने में आपके वेबसाइट पर कितने लोगों को उस वेब होस्टिंग द्वारा हैंडल किया जा सकेगा।
- सबसे जो बेसिक प्लान में 10000 विजिटर को महीने में हैंडल किया जाएगा.
- प्रीमियम प्लान में 1 महीने के अंदर 25000 यूजर को हैंडल किया जा सकेगा.
- बिजनेस प्रीमियम प्लान में 1 महीने के अंदर 100000 तक यूजर को हैंडल किया जाएगा।
- यदि आपके ब्लॉग पर इससे ज्यादा यूजर्स आएंगे तो आप शेयर्ड होस्टिंग का कभी भी उपयोग न करें।
शेयर्ड होस्टिंग के फायदे
यह सबसे सस्ता होस्टिंग होता है. एक नए वेबसाइट ओनर के लिए बहुत ही कम दाम में यह प्रदान किया जाता है. यदि आप एक नए ब्लॉगर हैं, तो आप शुरुआत में शेयर्ड का प्रीमियम प्लान ले सकेंगे। जिस पर महीने का 25000 विजिटर विजिट कर पाएंगे।
शेयर्ड होस्टिंग का नुकसान
इसमें एक ही कंप्यूटर पर एक ही जगह पर आपके सारे डेटा स्टोर रहेंगे. जिसके कारण कभी भी उस कंप्यूटर में कोई दिक्कत आएगा, तो फिर आपका ब्लॉग पूरी तरह से डाउन हो सकेगा. एक ही वेब होस्टिंग कंप्यूटर में बहुत सारे साइट का डाटा रहने के कारण इसका सिक्योरिटी बहुत ज्यादा बेहतर नहीं होगा।
इसका सर्वर लोकेशन एक ही जगह पर होगा. यदि अचानक आपके वेबपोर्टल पर एक ही समय में अधिक लोग विजिट करेंगे, तो आपका वेबसाइट डाउन या crash भी हो सकेगा।
2. वीपीएस (VPS Hosting)
शेयर्ड होस्टिंग की तुलना में वीपीएस होस्टिंग बेहतर होगा क्योंकि इसमें एक ही वेब होस्टिंग सर्वर पर किसी भी एक वेबसाइट के लिए separate स्पेस दिया जाएगा. जिसमें उस साइट को एक निश्चित भाग दिया जाएगा. जिसमें उसका सारा डाटा स्टोर रहेगा या उसका पूरा सिस्टम कंफीग्रेशन उस ब्लॉग के लिए ही काम करता हैं.
जैसे एक कंप्यूटर में 500 जीबी का स्टोरेज होगा अब उस स्टोरेज को अलग-अलग भाग में बांट दिया जाएगा. जैसे सी ड्राइव, डी ड्राइव, ई ड्राइव इस तरह से कई पार्टीशन बनाकर स्टोरेज को डिवाइड कर दिया जाएगा.
ठीक इसी प्रकार एक ही वेब होस्टिंग कंप्यूटर में अलग-अलग पार्टीशन बनाकर एक फिक्स स्टोरेज बना दिया जाएगा. जिसमें अलग-अलग वेबसाइट का डाटा स्टोर होगा. यदि आप अपने ब्लॉग के लिए वीपीएस होस्टिंग का उपयोग करेंगे. तो इसमें आपको एक फिक्स सिस्टम कंफीग्रेशन और फिक्स स्टोरेज के साथ-साथ एक ही वेब होस्टिंग सर्वर पर फिक्स place दिया जाएगा.
शेयर्ड होस्टिंग में आपके वेबपेज के लिए कोई निश्चित स्पेस नहीं दिया जाता. जबकि वीपीएस होस्टिंग में आपके लिए एक फिक्स स्पेस दिया जाएगा.
वीपीएस होस्टिंग के फायदे
आपके वेबसाइट के लिए एक निश्चित स्पेस वेब होस्टिंग द्वारा दिया जाएगा. यदि आप विजिटर के हिसाब से वीपीएस की सर्विसेस का चयन करेंगे, तो आपका वेबसाइट्स सस्ते दाम के होस्टिंग पर बेहतर काम कर सकेगा.
शेयर्ड की तुलना में भी वीपीएस थोड़ा महंगा होता है लेकिन cloud के तुलना में यह बहुत सस्ता होता है. वैसे भी वीपीएस होस्टिंग का उपयोग एक बड़े ब्लॉग के लिए बेहतर नहीं है.
वीपीएस होस्टिंग का नुकसान
वीपीएस होस्टिंग में भी एक ही जगह पर एक वेब होस्टिंग सर्वर होता है जिसमें एक ही कंप्यूटर पर अलग-अलग पार्टीशन बनाकर दिया जाता है जिससे यदि कभी उस web-server में कोई खामियां आ जाती है तो आपका वेबसाइट डाउन हो सकता है क्योंकि उसके लिए कोई बैकअप उपलब्ध नहीं रहता है.
3. डेडीकेटेड
यह बहुत ही बेहतरीन महंगा होता है डेडिकेटेड होस्टिंग का उपयोग बड़े-बड़े वेबसाइट या ऑर्गनाइजेशन के लिए किया जाता है. वैसे साइट जिसका पूरा इंफॉर्मेशन एक स्पेशल सर्वर पर होता है.
डेडीकेटेड का मतलब होता है एक ऐसा सर्वर जो केवल एक ही वेबपेज के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है उस सर्वर पर किसी दूसरे वेबसाइट का डाटा स्टोर नहीं किया जाता है. जैसे कोई एक बैंक है उदाहरण के लिए स्टेट बैंक का अपना एक डेडीकेटेड सर्वर होता है जिसका पूरा डाटा एक सर्वर पर स्टोर रहता है.
डेडिकेटेड का उपयोग करने के लिए एक पूरी टेक्निकल की टीम होती है क्योंकि इसको हैंडल करने के लिए एक प्रोफेशनल टेक्निकल एक्सपर्ट की आवश्यकता होती है तथा यह बहुत ही महंगा होता है. इसके रखरखाव के लिए बहुत चीजों की आवश्यकता होती है. बड़ी-बड़ी वेबपेज के लिए कई जगहों पर अलग-अलग डेडीकेटेड बनाकर रखा जाता है. जिससे उनका साइट कभी भी डाउन नही होता हैं.
उसमें किसी भी प्रकार की कोई सिक्योरिटी से रिलेटेड समस्या नही होता हैं. डेडीकेटेड बहुत ही सिक्योर एवं सुरक्षित होता है.
डेडीकेटेड होस्टिंग के फायदे
बहुत ही सिक्योर और सुरक्षित होता है. डेडीकेटेड उपयोग करने वाले वेबसाइट के डाटा को हैक करना बहुत ही मुश्किल है. इसका सर्वर कभी भी डाउन नहीं होता है कभी-कभी ऐसा होता है कि इंटरनेट कनेक्टिविटी के कारण सर्वर डाउन हो जाता है. लेकिन इसके Server में किसी प्रकार की कोई डाउन की संभावना नहीं होती है. डेडिकेटेड सबसे बेहतर होस्टिंग है.
डेडिकेटेड वेब होस्टिंग के नुकसान
यह बहुत ही खर्चीला महंगा होस्टिंग होता है. जिसका रखरखाव भी एक साधारण काम नहीं है. इसमें कई तरह के टेक्निकल टीम की जरूरत होती है. जिसके द्वारा नियमित रूप से इसका रखरखाव एवं ऑपरेशन करना पड़ता है.
4. क्लाउड
वर्तमान समय में यह एक बहुत ही बेहतर होस्टिंग सर्विस है. क्लाउड का मतलब क्या होता है. इसमें किसी एक वेबसाइट का डाटा अलग-अलग लोकेशन के सर्वर पर स्टोर रहता है. क्लाउड में एक कंप्यूटर पर फिक्स सिस्टम कंफीग्रेशन दिया जाता है. जिसमें उस ब्लॉग हेतु प्रोसेसर रैम स्टोरेज की क्षमता फिक्स होती है.
जिससे साइट बेहतर तरीके से काम करता है. क्लाउड में सबसे अच्छा सुविधा यह है कि आपके वेबसाइट का डाटा कई अलग-अलग लोकेशन के सर्वर पर स्टोर होता है.
जिससे यदि किसी एक सर्वर का डाटा किसी कारण बस काम नही करता हैं तो दूसरे server से बैकअप मिल जाता है जिससे आपका वेबसाइट कभी भी डाउन नहीं होता है इसमें आप अपने लिए सर्वर लोकेशन का चयन कर सकते हैं
यदि आपका वेबपोर्टल किसी एक ही कंट्री में काम करता है तो आप उस कंट्री का सर्वर लोकेशन set कर सकते हैैं। जिससे आपके साइट का स्पीड बेहतर काम करता है. यदि आपका कंट्री भारत है और भारत में आपका वेबसाइट बहुत ज्यादा सक्रिय है और आपका सर्वर लोकेशन किसी दूसरे कंट्री में है तो वहां से डाटा access होकर इंडिया में आने में समय लगता है जिससे आपके वेबपेज का स्पीड कम हो जाता है.
क्लाउड होस्टिंग
जितनी भी बड़ी-बड़ी ब्लॉग हैं उनके लिए भी क्लाउड का उपयोग किया जाता है. शेयर्ड होस्टिंग, वीपीएस होस्टिंग की तुलना में क्लाउड होस्टिंग महंगा होता है. क्योंकि इसमें एक वेबसाइट के लिए एक फिक्स वेब होस्टिंग सर्वर होता है जिसका सिस्टम कंफीग्रेशन अपने हिसाब से चयन कर सकते हैं.
क्लाउड होस्टिंग के बेसिक प्लान कम से कम $10 महीने से स्टार्ट होते हैं इसमें आपको सिंगल कोर सीपीयू 2GB रैम 25 जीबी एसएसडी स्टोरेज मिल जाता है. जोकि महीने का एक लाख ट्रैफिक हैंडल करता है.
इसका सबसे बड़ा खासियत यह है कि यह कभी भी आपके साइट को डाउन नहीं होने देता है. क्योंकि आपका डाटा मल्टीपल server लोकेशन पर स्टोर होता है. इसमें सबसे ज्यादा फायदा यह है कि वेबपोर्टल का स्पीड बहुत ही ज्यादा तेज काम करता है तथा सिक्योरिटी बहुत ही बेहतर रहता है.
इसमें तीन तरह का प्लान अधिकतर अलग-अलग कंपनियों द्वारा दिया जाता है. जिसमें बेसिक प्लान होता है, प्रीमियम प्लान होता है और बिजनेस प्लान होता है. यदि आप एक ब्लॉगर हैं और आपका ट्रैफिक 1 महीने में एक लाख से ऊपर है तो क्लाउड का उपयोग करें। इससे आपका वेबसाइट कभी भी डाउन नहीं होगा और बेहतर सिक्योरिटी मिलेगा।
क्लाउड का बेसिक प्लान ले सकते हैं. जब आपके साइट पर 100000 से भी अधिक यूजर आ रहे हैं तो इसका प्रीमियम प्लान ले सकते हैं. इस वेबसाइट के लिए भी क्लाउड का ही उपयोग किया जाता है.
क्लाउड होस्टिंग के फायदे
वेबसाइट का डाटा अलग-अलग सर्वर लोकेशन पर स्टोर रहते हैं जिससे साइट कभी भी डाउन नहीं होता हैं. क्लाउड में एक फिक्स सिस्टम कंफीग्रेशन वेब होस्टिंग का उपयोग किया जाता है. वेबपेज के लिए बेहतर सिक्योरिटी दिया जाता है. इसमें वेबसाइट का डेली बैकअप भी मिलता है.
क्लाउड होस्टिंग के नुकसान
यह बहुत महंगा होता है शेयर्ड वीपीएस होस्टिंग की तुलना में इसका दाम बहुत ज्यादा है. क्लाउड उपयोग करने के लिए कुछ ऐसी कंपनी है जोकि आप को managed होस्टिंग नहीं देती है जिसके कारण यदि क्लाउड खरीदते हैं तो आपको टेक्निकल नॉलेज होना जरूरी है तभी उसको अपने हिसाब से मैनेज कर पाएंगे।
कुछ ऐसे भी कंपनियां हैं जो कि क्लाउड होस्टिंग को भी मैनेज करके देती है. जिसमें आपको ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं होता है. इसलिए जब क्लाउड खरीदें उस समय इन बातों का ध्यान रखें कि उस कंपनी द्वारा आपको होस्टिंग मैनेज करके दिया जाएगा या स्वयं उस क्लाउड होस्टिंग को मैनेज करना पड़ेगा।
कुछ और वेब होस्टिंग के प्रकार
वर्डप्रेस वेब होस्टिंग
यह होस्टिंग केवल उनके लिए हैं जो अपना साइट वर्डप्रेस पर ही बनाए हुए हैं. वर्डप्रेस होस्टिंग में कुछ लिमिटेशन है जैसे इसका उपयोग केवल वर्डप्रेस पर ही किया जा सकता है। इसके अलावा आप किसी अन्य प्लेटफार्म पर इसका उपयोग नहीं कर सकते हैं। वैसे लोग जो अपना वेबसाइट वर्डप्रेस पर बनाए हैं वही इस होस्टिंग का उपयोग कर सकते हैं।
रीसेलर वेब होस्टिंग
यह एक ऐसा होता है जो कि रीसेल किया जाता है जैसे कोई व्यक्ति होस्टिंग खरीद लेता है और उसको डिवाइड करके अलग-अलग पार्ट बनाकर अपने ही होस्टिंग में से उसको सेल करता है। रीसेलर होस्टिंग का मतलब यदि आपको टेक्निकल जानकारी है और आप किसी कंपनी से होस्टिंग खरीदते हैं उसके बाद उसीको आप अलग-अलग वेबसाइट के लिए सेल करते हैं इसी को रीसेलर होस्टिंग कहते हैं।
नोट
होस्टिंग समझने के लिए सबसे जरूरी है कि आप इसके जो बेसिक पॉइंट है उसको समझे। जैसे इस लेख में ऊपर बताया गया है कि एक कंप्यूटर को इंटरनेट से जोड़ करके वेब होस्टिंग के लिए उपयोग किया जा सकता है। अब सीधा मतलब है कि आपके कंप्यूटर का कितना सिस्टम बेहतर है
उसी के हिसाब से वह डाटा स्टोर कर सकता है। तेजी से किसी भी काम को कर सकता है। ठीक उसी प्रकार यदि उस कंप्यूटर को आप होस्टिंग के रूप में इस्तेमाल करते हैं तो जितना उस सिस्टम का पावर है उसी के हिसाब से वह होस्टिंग के लिए भी काम करेगा।
एक उदाहरण
अब ठीक इसी प्रकार जो होस्टिंग मुहैया कराने वाली कंपनी हैं वह कंपनी अपने कंप्यूटर को इंटरनेट से 24 * 7 आवर्स कनेक्ट रखती है। उनके पास जितने कंप्यूटर के संसाधन है उसको अलग-अलग भाग में डिवाइड करते हैं और इसी को वेब होस्टिंग अलग-अलग प्रकार के रूप में तैयार करके इंटरनेट पर सेल करते हैं। इस लेख में जितने भी तरह के होस्टिंग का प्रकार बताया गया है इसका क्या मतलब है
एक कंप्यूटर को आप किस तरह से उपयोग कर रहे हैं जैसे एक कंप्यूटर को आप 10 लोगों के लिए उपयोग में दे रहे हैं एक कंप्यूटर को आप केवल एक ही लोगों के लिए सेपरेट उपयोग के लिए रखे हैं।
कंप्यूटर को आप अलग-अलग रूप में अलग-अलग लोगों के लिए उपयोग कर रहे हैं। जिसका सीधा मतलब है कि आप जो अपना वेबसाइट बनाए हैं उसको जिस होस्टिंग सर्वर पर होस्ट कर रहे हैं
उस सर्वर को मैनेज करने के लिए वहां किस तरह का व्यवस्था है, वहां किस तरह का कंप्यूटर उपयोग किया जा रहा है, उसका कंफीग्रेशन कैसा है, वहां इंटरनेट की कनेक्टिविटी कैसा है, वहां बैकअप की कैसी सुविधा है, यही सब कुछ मिलाकर एक वेब होस्टिंग का निर्माण होता है।
वेब होस्टिंग कैसे काम करता है
इसको समझने के लिए सबसे पहले आपको यह समझना होगा यदि आपका एक वेबसाइट है और उस पर तरह-तरह के इंफॉर्मेशन स्टोर करते हैं जैसे वीडियो इमेज टेक्स्ट और अन्य तरीके के डाटा उस पर स्टोर करते हैं।
अब जितने भी डाटा आप अपने ब्लॉग पर स्टोर करते हैं उसको रखने के लिए जगह चाहिए। उदाहरण के लिए कई प्रकार के ढेर सारे कपड़े हैं अब उसको देखने के लिए एक बैग की आवश्यकता है। ठीक उसी प्रकार जब वेबपोर्टल पर आप ढेर सारा डाटा अपलोड करते हैं तो उसको रखने के लिए एक जगह की आवश्यकता होती है, उसी जगह को वेब होस्टिंग के नाम से जानते हैं।
जितने भी आपके वेबपोर्टल पर डाटा होंंगे. वह सब कुछ वेब होस्टिंग के पास स्टोर हो जाता है। अब आपके वेबसाइट का सारा डाटा तो वेब होस्टिंग जहां होगा, वहां स्टोर होता है। अब यदि कोई तीसरा व्यक्ति साइट पर आएगा और वहां कुछ भी वह देखना चाहेगा तब उस पर वह क्लिक करेगा जब आपके वेबसाइट पर आकर किसी भी ऑप्शन पर क्लिक करता है।
तो उसमें दिए गए सारे इंफॉर्मेशन वेब होस्टिंग के पास स्टोर हैं वहां इंटरनेट के माध्यम से सूचना जाता हैं कि इस इंफॉर्मेशन को उस यूजर के आईपी एड्रेस पर दिखाया जाए।
वेब होस्टिंग प्रोसेस
इसका मतलब यह हुआ कि आपके वेबसाइट पर कोई भी व्यक्ति आ करके कुछ भी सर्च करता हैं तो सर्च करने के बाद वेब सर्वर के पास जो इंफॉर्मेशन होता हैं तो वेब सर्वर उस यूजर के कंप्यूटर पर भेजता है। जिससे उसके पास आपके ब्लॉग के माध्यम से इंफॉर्मेशन प्राप्त हो जाता हैं।
इस तरह से वेबसाइट वेब होस्टिंग और जो जानकारी सर्च करने वाली यूजर हैं इन तीनों को मिला करके इंफॉर्मेशन एक जगह से दूसरे जगह में इसके द्वारा ट्रांसफर होते रहता हैं।
क्या हम अपने कंप्यूटर को वेब होस्टिंग के लिए उपयोग कर सकते हैं
अपने कंप्यूटर को भी वेब होस्टिंग के लिए उपयोग किया जा सकता हैं लेकिन उसके लिए आप अपने कंप्यूटर को 24 * 7 घंटा चालू रखना पड़ेगा। उसमें हाई स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी भी 24 * 7 घंटे रखना पड़ेगा। तथा यह भी आपको सिक्योर करना पड़ेगा कि कभी भी आपके कंप्यूटर में किसी प्रकार का कोई खामियां नही हो।
नहीं तो उस समय सारा डाटा लॉस हो सकता हैं तथा आपका वेबसाइट पूरी तरह से शॉट डाउन हो सकता हैं। इसीलिए अपने घर में अपने कंप्यूटर का वेब होस्टिंग के लिए उपयोग करना सही नहीं हैं।
अपने कंप्यूटर को वेब होस्टिंग के रूप में उपयोग करने के लिए उसमें कुछ जरूरी सेटिंग्स भी करना पड़ेगा। इसलिए आपको कुछ टेक्निकल बेहतर जानकारी को रखना पड़ता है।
Disk Space in Hosting
जब कभी भी हम लोग वेब hosting परचेज करते हैं. तो वहां पर हम लोग डाटा और इमेज फोटो टेक्स्ट स्टोर कर सकते हैं. उसका लिमिटेशंस होता हैं. उसी को हम लोग डिस्क स्पेस कहते हैं. जब हम लोग वेब होस्टिंग परचेज खरीदते हैं.
तो उस समय यह ध्यान में रखना होता हैं, कि हमारे वेबपोर्टल के लिए स्टोरेज स्पेस कितना हैं. जिसके हिसाब से हम लोग अपने वेबसाइट के अंदर डाटा इमेज वीडियो फोटो रख सकते हैं.
Bandwidth in Web hosting
बैंडविथ का मतलब होगा कि 1 सेकंड में मेरे ब्लॉग पर कितने सारे लोगों ने डाटा को एक्सेस किया हैं, या कर सकते हैं. उसे हम लोग बैंडविथ कहते हैं. जब कभी भी हम लो वेब होस्टिंग खरीदते हैं, तो वहां पर बैंडविथ का इंफॉर्मेशन भी देखना होगा.
जब वेबसाइट से एक साथ ढेर सारे यूजर किसी इंफॉर्मेशन के लिए डाटा को एक्सेस करेंगे, तो उस समय बैंड विद यदि कम हो तो वेबपेज डाउन हो सकेगा. और डाटा को विजिटर्स एक्सेस नहीं कर पाएंगे. इसे bandwidth कहा जाएगा.
Uptime in Web hosting
इसका मतलब होगा कि 24 घंटा में कितने देर तक हमारे वेबसाइट्स का डाटा या इंफॉर्मेशन को कंप्यूटर द्वारा भेजा जा रहा हैं. जब कभी भी हम लोगों का वेबसाइट डाउन हो जाएगा और ओपन नहीं होगा. उस समय को हम डाउन टाइम कहते हैं. आजकल हर कंपनी सौ परसेंट Uptime की गारंटी देता हैं.
कस्टमर सर्विस इन वेब होस्टिंग
कस्टमर सर्विस इन्वेस्टिंग किसी भी वेबसाइट से हम लोग जब वेब hosting खरीदेंगे, तो वहां पर कस्टमर सर्विस 24 * 7 मौजूद रहेगा. जैसे यदि किसी प्रकार की कोई दिक्कत हमारे व्यवस्था में हो जाए , तो उसको ठीक करने के लिए हम लोग कस्टमर सर्विस का प्रयोग करेंगे.
तो सभी वेब होस्टिंग प्रोवाइडर्स कंपनी दावा करते हैं कि हम लोग 24 * 7 कस्टमर सर्विस प्रोवाइड करते हैं. वेब होस्टिंग buy करते समय कस्टमर सर्विस का भी ध्यान रखना चाहिए .
वेब होस्टिंग कहां से खरीदें
पूरी दुनिया में वेब होस्टिंग की सुविधा मुहैया कराने वाला लगभग 5000 से भी अधिक प्लेटफार्म है। जिसके द्वारा वेब होस्टिंग की सर्विस दिया जाता है। अब इन 5000 वेब होस्टिंग सर्विस देने वाली कंपनियों के बारे में जानना बहुत आसान नहीं है।
इसलिए अभी आप वेब होस्टिंग खरीदना चाहेंगे तो आपको कंफ्यूज बिल्कुल नहीं होना है। क्योंकि खरीदने के लिए 20 सबसे बेहतर होस्टिंग की सुविधा देने वाली कंपनियों का नाम नीचे दिया गया है। जिनसे खरीद सकेंगे।
शेयर्ड, वीपीएस,क्लाउड होस्टिंग खरीदना हो या डेडिकेटेड खरीदना हो इन चारों को खरीदने के लिए सबसे बेहतर प्लेटफार्म के बारे में नीचे बताया गया है।
इन चारों में से सबसे बेहतर क्लाउड हैं और उसके बाद डेडीकेटेड होस्टिंग। लेकिन डेडीकेटेड बहुत महंगा हैं इसलिए यदि आपके वेबसाइट पर एक लाख से ज्यादा ट्रैफिक हैं और आप उससे कमाई कर रहे हैं तो आप क्लाउड ही खरीदें। यदि आप एक बिल्कुल नए ब्लॉगर हैं आप अपना ऑनलाइन बिजनेस स्टार्ट करना चाहते हैं तो शेयर्ड होस्टिंग का प्रीमियम प्लान ले पाएंगे।
Hostinger | Dreamhost |
Hostgator | Wpengine |
Bigrock | Kinsta |
Godaddy | Getflywheel |
Cloudways | Weblink |
A2Hosting | India Nets |
Bluehost | Manas hosting |
Siteground | Hosting Right Now |
Digitalocean | Hostcats |
InMotion | Hosting India |
Linux operating system vs Windows operating system
किसी भी प्रकार के विभिन्न होस्टिंग जब हम लोग खरीदते हैं. किसी भी कंपनी से खरीदते हैं. तो हम लोग दो प्रकार के वेब hosting का ऑप्शन देखते हैं. जो कि डिफरेंट तरह-तरह के ऑपरेटिंग सिस्टम पर उपयोग किया जाता हैं.
जैसे जब कभी भी हम लोग वेब होस्टिंग को खरीदते हैं. तो वहां पर लाइनेक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का सर्वर प्रयोग किया जाता हैं. जैसे मेरा वेबपोर्टल हैं, और उसका जो सर्वर हैं. उसका ऑपरेटिंग सिस्टम लाइनेक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का यूज करता हैं. तो इसे हम लोग लाइनस ऑपरेटिंग वेब होस्टिंग कह सकते हैं.
और यदि किसी वेबसाइट के वेब होस्टिंग का जो सर्वर हैं. वह विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल करता हैं, और उस सिस्टम का सर्वर के लिए यूज करता हैं. तो उसका विंडोज ऑपरेटिंग वेब होस्टिंग सर्वर होता हैं. लाइनेक्स या विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम में वेब होस्टिंग प्रयोग करने से कोई परेशानी नहीं हैं. किसी भी प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम पर वेब होस्टिंग खरीदा जा सकता हैं.
वेब होस्टिंग गाइड
जैसे एक कंप्यूटर खरीदने के लिए उसका कंफीग्रेशन के बारे में जानकारी लिया जाता हैं ठीक उसी प्रकार से जब आप अपने वेबसाइट के लिए वेब होस्टिंग खरीदने के बारे में सोचेंगे. उस समय आपको उस कंप्यूटर के बारे में भी जानकारी रखना पड़ेगा जहां से सर्विस लेना होगा.
जो भी सेवा देने वाली कंपनी होगी वह कंपनी कंप्यूटर पर ही सेवा प्रदान करेंगी. इसलिए जैसे नया कंप्यूटर खरीदते समय उसका स्टोरेज की क्षमता रैम की क्षमता सीपीयू के प्रोसेसर की क्षमता इत्यादि को देखा जाता है.
ठीक उसी प्रकार जब आप वेब होस्टिंग खरीदते समय भी इन चीजों को जरूर ध्यान में रखें। क्योंकि जब वेब होस्टिंग खरीदेंगे, तो आपके वेबसाइट का जो डाटा होगा वह एक दूसरे सर्वर के पास स्टोर होगा.
इसलिए जहां आपके वेबपेज का डाटास्टोर हो रहा हैं उस सिस्टम में कितने और साइट का डाटास्टोर किया जाता हैं तथा आपके वेबसाइट के लिए वहां पर कितना स्टोरेज क्षमता दिया जा रहा हैं, वेब होस्टिंग कंप्यूटर का रैम की क्षमता कितना हैं, उसमें सर्वर में कौन सा प्रोसेसर का उपयोग किया जा रहा हैं. इन सभी का ध्यान जरूर रखें।
वेब होस्टिंग कंफीग्रेशन चेक
साधारण भाषा में जैसे आप नया कंप्यूटर खरीदते समय अपने कंफीग्रेशन को देखते हैं ठीक उसी प्रकार आप अपने वेब होस्टिंग खरीदते समय उसमें होस्टिंग सर्वर का जो कंप्यूटर हैं उसके कंफीग्रेशन के बारे में भी जानना चाहिए।
जो वेब सर्वर खरीद रहे हैं उसमें आपको कितना जीबी का स्टोरेज क्षमता, उसमें रैम कितना दिया जा रहा हैं उस सिस्टम का प्रोसेसर सिंगल कोर या ड्यूल कोर है इसके बारे में आपको जानना चाहिए।
जिस hosting कंप्यूटर पर आप होस्टिंग अपने वेबसाइट के लिए कर रहे हैं उसमें कौन सा ऑपरेटिंग सिस्टम इस्तेमाल किया जा रहा हैं. लाइनेक्स ऑपरेटिंग सिस्टम वाले वेब होस्टिंग सर्विसेज बेहतर नहीं होता हैं क्योंकि यह फ्री होता हैं.
जिस कंप्यूटर में माइक्रोसॉफ्ट का ऑपरेटिंग सिस्टम उपयोग किया जाता हैं वह लाइसेंस वर्जन होता हैं तथा उसके सिक्योरिटी बेहतर होता हैं, इसलिए वैसे सर्वर का चयन करना चाहिए जिस कंप्यूटर पर माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग किया जा रहा हैं.
वेब होस्टिंग के लिए दो तरह का ऑपरेटिंग सिस्टम वाला होस्टिंग की सर्विस दिया जाता हैं जिसमें एक लाइनेक्स ऑपरेटिंग सिस्टम वाला होस्टिंग होता हैं और दूसरा विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम वाला होता हैं. जब भी खरीदें उस समय इस बातों का ध्यान रखें।
- ऑपरेटिंग सिस्टम
- प्रोसेसर के बारे में जैसे सिंगल कोर ड्यूल कोर
- एसएसडी स्टोरेज की क्षमता
- रैम
वेब होस्टिंग में इन बातों को जानना जरूरी हैं
जब आप वेब होस्टिंग खरीद लेंगे और एक वेबपोर्टल बना लेंगे, उसके बाद जो भी आप इंफॉर्मेशन अपलोड करेंगे वह सारा इंफॉर्मेशन वेब होस्टिंग के पास save रहेगा.
अब जो इंफॉर्मेशन अपने साइट पर स्टोर किए हैं उसको देखने के लिए जब कोई user आपके वेबसाइट पर आएगा तब उस जानकारी को एक्सेस करने के लिए उस पर क्लिक करेगा. जो डाटा है वह आपके कंप्यूटर पर तो है नहीं तब यूजर द्वारा वेब होस्टिंग के पास रिक्वेस्ट जाता है कि इस डाटा को आप यूजर के कंप्यूटर पर भेजें।
अब जब इस तरह से एक साथ अधिकतर लोगों द्वारा आपके वेबसाइट द्वारा access किया जाता हैं तब यदि आपके वेब होस्टिंग का कंप्यूटर का कंफीग्रेशन मजबूत नहीं रहेगा तो आपका वेबपोर्टल डाउन हो जाएगा और इंफॉर्मेशन यूजर को नहीं मिल पाता हैं.
सारांश
जिसके कारण आपके वेबसाइट का Reputation खराब होता हैं तथा यदि आप एक ब्लॉग वेबसाइट बनाए हैं तो उसका रैंकिंग गूगल में डाउन हो जाता हैं. अब आपके मन मे सवाल आना शुरू हो गया होगा कि आखिर हम कितना कंफीग्रेशन वाला वेब होस्टिंग खरीदे हैं उसमें क्या क्या होना चाहिए कैसा सिस्टम कंफीग्रेशन होना चाहिए।
यह सब कुछ निर्भर करता है कि आपके वेबसाइट पर एक महीना में कितने लोग विजिट करते हैं जिसके हिसाब से वेब होस्टिंग के सिस्टम कंफीग्रेशन का चयन कर सकते हैं. जो भी कंपनी है उन कंपनियों द्वारा इसके कई प्रकार होते हैं जिसके द्वारा अपने हिसाब से लोग अलग-अलग प्रकार के वेब होस्टिंग खरीदते हैं. Hosting Features.
ये भी पढ़े
- सबसे सस्ता एवं सबसे बेस्ट वेब होस्टिंग कौन सा है
- ब्लॉग कैसे बनाएं
- ब्लॉगर कैसे बने
- इंटरनेशनल ब्लॉगिंग क्या है
- सीएसएस क्या हैं
- वेबसाईट क्या है
- यूआरएल क्या हैं
मेरा नाम रवि शंकर तिवारी है और मैं एक MBA (IT) Professional हॅू। जो पिछले 5 वर्षो से एक लेखक और डिजिटल मार्केटर के रूप में काम कर रहा हूँ। टेक्निकल बैकग्राउंड होने के कारण टेक्नोलॉजी, कंप्यूटर, ऑनलाइन कमाई, से संबंधित जानकारियों को शेयर करना मेरा पैशन हैं।