क्या मनचाहे नोट छाप करके देश को अमीर बनाया जा सकता है? Sarkar jyada Paise kyo nhi chhapti hai? क्या कोई भी सरकार ज्यादा से ज्यादा नोट छाप कर अपने देश के लोगों को अमीर बना सकते हैं।
इस तरह का सवाल लोगों के मन में जरूर आता होगा। क्योंकि एक आम व्यक्ति यह जरूर सोच सकता है कि हमारे सरकार के पास नोट छापने की मशीन है, तो क्यों नहीं सरकार नोट छापने वाली मशीन से ज्यादातर नोट छाप करके देश के लोगों को अमीर बना देती है।
लेकिन क्या ऐसा करने से हमारे देश के लोग अमीर हो सकते हैं तथा हम एक विकसित देश का निर्माण कर सकते हैं। यदि इस तरह का सवाल आपके मन में भी आता है, तो इस लेख को आप जरूर पढ़े। तभी आप समझ पाएंगे कि हमारे देश में पैसा कैसे छपता हैं तथा पैसा को छाप करके देश में गरीबी को मिटाया जा सकता है या नहीं।
भारत सरकार या कोई भी देश के पास नोट छापने की मशीन तो होती है, लेकिन नोट छापने से पहले कुछ नियम एवं कानून होते हैं। जिसके आधार पर ही कोई भी देश नोट को छाप सकता है। जो भी नोट हम लोग उपयोग करते हैं उसका वैल्यू होता है।
यदि कोई भी नोट भारत सरकार के द्वारा छापा जाता है, तो उसका वैल्यू भी प्रदान किया जाता है। यदि अधिक से अधिक मात्रा में नोट को छाप दिया जाए, तो उससे देश में तरक्की से ज्यादा नुकसान हो सकता है।
क्योंकि भारत सरकार भी कुछ टर्म्स एंड कंडीशन के आधार पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को नोट छापने के लिए कह सकती है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया नोट छापने के लिए कुछ जरूरी जो प्रावधान है, उसके आधार पर ही नोट छापने का काम करती है.
सरकार ज्यादा पैसे क्यों नही छापती हैं
जब भी किसी देश में नोट छपते हैं, तो उसके लिए एक पैमाना होता है। जिसके आधार ही पर नोट छापा जाता है। जो भी रुपए होते हैं उस पर लिखा जाता है कि इस रुपए के बदले आपको इतना रकम चुकाया जाएगा। देश में जितने भी रुपए पैसे हैं उसका वैल्यू होता है।
उसका वैल्यू तभी हो सकता है जब उस रुपए का सोना भारत सरकार या रिजर्व बैंक के पास होता है। जब तक उस रुपए का सोना सरकार के पास होता है तब तक उसका वैल्यू होता है।
क्योंकि ऐसे ही किसी भी कागज को छाप करके उसका कीमत नहीं निर्धारित किया जा सकता है। उसके लिए सबसे पहले भारत सरकार अपने पास उस रुपए का सोना स्टोर करती है। उसके बाद जितना सोना भारत सरकार के पास होता है उसके आधार पर नोट छापा जाता है। उसी नोट का वैल्यू भी होता है।

एक उदाहरण से समझते हैं
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास जितना नोट छापा गया है, उतने का सोना उपलब्ध है। जितना नोट रिजर्व बैंक आफ इंडिया के द्वारा छापा जाता है उतने नोट का जीतना वैल्यू होता है, उसके वैल्यू के आधार पर रिजर्व बैंक के पास सोना बिस्किट के रूप में मौजूद रहता है।
यदि देश में रुपयों की अधिक संख्या में छपाई करना है, तो उसके लिए उतना वैल्यू का सोना रिजर्व बैंक के पास होना चाहिए। तभी उतना पैसा छापा जा सकता है। बिना सोने का भारत सरकार रिजर्व बैंक पैसा तो छाप सकते हैं।
लेकिन उस पैसे से उसका वैल्यू मूल्य का कोई कीमत नहीं होता है। इसीलिए जो भी रुपया होता है, उस पर लिखा हुआ रहता है। इस रुपए के बदले इतना मूल्य अदा किया जाएगा। मान लीजिए कि देश में जो भी पैसे हम लोग के पास हैं जो कि एक दूसरे से आदान-प्रदान हो रहा है।
वह सारे रुपए अगर हम सभी नागरिकों के पास आ जाएगा तो सरकार के पास उस पर अधिकार के लिए कुछ भी नहीं रहेगा तो फिर लोकतंत्र में नागरिक ही सारा पैसा एकत्रित करके और शासन कर सकते हैं।
इसीलिए वह रुपए तब है जब उस रुपए का सोना बिस्किट के रूप में रिजर्व बैंक भारत सरकार के पास उपलब्ध है। क्योंकि भारत सरकार जब चाहे तब उन रुपयों को बंद कर सकती है। जिसके बाद उसका कोई वैल्यू नहीं रहेगा। उस रुपए का जो भी सोना भारत सरकार के पास उपलब्ध है उसका दूसरा रुपया छाप सकती है।
बिना किसी नीति या सिद्धांत के भारत सरकार और रिजर्व बैंक कभी भी पैसों का छपाई नहीं करते हैं। पैसों का छपाई तभी होता है जब रिजर्व बैंक के पास धन सोना के रूप में बढ़ता है। उसके आधार पर देश में करेंसी को छापा जाता है।
यदि सरकार चाहे तो करेंसी छाप सकती है। लेकिन फिर उससे देश में महंगाई बढ़ने का खतरा भी रहता है। क्योंकि लोगों के पास जब ज्यादा धन, पैसा, रूपया के रूप में इकट्ठा हो जाता है, तब लोग जो भी धंधा करते हैं उस धंधे का मूल्य भी बढ़ा सकते हैं।
क्योंकि उनके पास रुपए का भंडार हो जाता है। तब रुपए का उतना ज्यादा वैल्यू नहीं होता है। किसी भी चीज का वैल्यू तब होता है जब लिमिट मात्रा में लोगों के पास होता है।
जब कोई भी सामान ज्यादा मात्रा में लोगों के पास उपलब्ध हो जाता है तब उसका उपयोग अनावश्यक रूप से किया जाता है। जिससे उसका गलत इस्तेमाल होता है। ठीक इसी प्रकार से देश में ज्यादा रुपयों की सरकार के द्वारा छपाई किया जाता है, तो देश में अनावश्यक महंगाई बढ़ेगी, जिससे देश का नुकसान होगा।
इसीलिए भारत या कोई भी देश रुपए या जो भी करेंसी होता है, उसको छापने का एक जो नियम है उसी के आधार पर रुपए छापती है।
कुछ ऐसे दुनिया में देश हैं जिसके द्वारा अपने देश में ज्यादा मात्रा में करेंसी छापा गया। जिसका परिणाम यह हुआ कि उन देशों में महंगाई बढ़ गई और वहां पर बहुत ही ज्यादा लोगों को नुकसान भी झेलना पड़ा।
इसीलिए कोई भी देश इस तरह से करेंसी छापना पसंद नहीं करती हैं। इसीलिए यदि आप सोचते हैं कि देश में पैसा छापने की मशीन है, तो सरकार ज्यादा से ज्यादा पैसा छाप कर के लोगों को अमीर बना सकती है, तो यह बिल्कुल ऐसा संभव नहीं है।
देश में पैसा छापने के लिए तथा देश को विकसित बनाने के लिए एकमात्र तरीका है, देश के अंदर धन को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाना। जिसके लिए सोना खरीदा जाता है और सोना रिजर्व बैंक के पास स्टोर रहता है। उसी के आधार पर उसका करेंसी छाप करके देश में उसका उपयोग किया जाता है।
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सारांश
इस लेख में नोट छापने कं बारे में, करेंसी छापने के बारे में जानकारी दी गई है। जिसमें बताया गया है कि क्या कोई भी सरकार या देश अपने देश में उपलब्ध पैसा छापने वाली मशीन से क्या ज्यादा मात्रा में पैसे छाप सकते हैं।
इस लेख में इसके बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। फिर भी यदि इस लेख से संबंधित कोई भी सवाल है सुझाव है तो आप कमेंट बॉक्स में जरूर टाइप करें।

प्रियंका तिवारी Gyanitechraviji के Co-Founder & Editor हैं। इनकी शिक्षा हिंदी ऑनर्स से स्नातक तक हुई हैं, इन्हें हिंदी में बायोग्राफी, फुलफार्म, अविष्कार, Make Money , Technology, Internet & Insurence से संबंधित जानकारियो को सीखना और सिखाना पसन्द हैंं। कृपया अपना स्नेह एवं सहयोग बनाये रखें। सिखते रहे और लोगों को भी सिखाते रहें।