सनातन धर्म क्या है अर्थ, उत्‍पति व इतिहास

What is Sanatan Dharma in hindi. जो सत्य है वही सनातन है। सनातन का मतलब होता है सबको समान भाव से देखना। जो सत्य है उसको स्वीकार करना। किसी के प्रति बैर भाव नहीं रखना। जो पहले भी था आज भी है जो अंत तक रहेगा वही सनातन है। सनातन का मतलब होता है शाश्वत। जिसका कभी समाप्ति नहीं हो सकता वही सनातन है।

सनातन धर्म किसी व्यक्ति, समाज, जाति का नहीं है। यह सृष्टि में जितने भी जीव हैं उन सभी का विचार सोच रहन सहन सनातन सस्‍कृति से जुड़ा हुआ है। कुछ लोगों का धर्म अलग अलग हो सकता है। लेकिन उनका विचार उनका व्यवहार उनका रहन-सहन में सनातन से जरूर जुड़ा हुआ है। सनातन से अलग कुछ भी नहीं हैं.

सनातन धर्म क्या है

सनातन केवल एक धर्म ही नहीं है बल्कि यह संपूर्ण जीवन का सार है। इस दुनिया में जितने भी जीव है वह सभी सनातन के विचार व्यवहार आदि से जुड़े हुए हैं।

वर्तमान समय में सनातन धर्म को एक धर्म के रूप में माना जाता है। जबकि सनातन धर्म की स्थापना किसी व्यक्ति मनुष्य आदमी ने नहीं किया है। इस सनातन परंपरा का शुरुआत सत्य से हुआ हैं। सत्य क्या है, जो शाश्वत है, वही सत्य है। जन्म लेना सत्य है मृत्यु होना सत्य है।

ठीक उसी प्रकार सनातन धर्म भी सत्य है। सनातन धर्म सत्य से उत्पन्न हुआ है। सत्य का मतलब कोई ऐसा शक्ति जो इस पूरे दुनिया को संचालित करता है। वही सत्य है और उसी सत्य को इस दुनिया में अलग-अलग नामों से जानते हैं।

कोई भी व्यक्ति सनातन धर्म से अलग हो सकता है। लेकिन सनातन विचार से अलग नहीं हो सकता। क्योंकि सनातन का विचार है पूरी दुनिया के लोगों के लिए शाश्वत सत्य।

सनातन धर्म का मतलब

सनातन और धर्म यह दो शब्द मिलाकर के सनातन धर्म बनता है। सनातन धर्म को समझने के लिए इस दोनों शब्दों को अलग-अलग समझना पड़ेगा।

सनातन – जिसके बारे में ऊपर भी बताया गया है जो सबका मंगल करने को सोचता है वही सनातन है। जो संपूर्ण मानव जाति के लिए सत्य है वही सनातन है। इस दुनिया में जितने भी प्रकार के जीव है वह ईश्‍वर का अनुभव करते है। इस संसार में जीव के अलावा पेड़ पौधे वस्तु इत्यादि के अंदर भी परमात्मा का वास होता है। 

सनातन एक ऐसा शब्द है जिससे कुछ भी अलग नहीं है। जिसमें पूरी दुनिया का विचार, वाणी का अंश मौजूद रहता है। वे सभी सनातनी हैं

धर्म – धर्म का मतलब क्या होता है वैसे सामान्य तौर पर धर्म का मतलब अनेक हो सकता है। हर एक व्यक्ति, वस्तु, समाज देश के लिए धर्म का मतलब अलग अलग हो सकता है।

वैसे सामान्य तौर पर धर्म का मतलब होता है सदाचार, सब व्यवहार, समभाव, सत्य भाव, श्रद्धा, ज्ञान, विश्वास, प्रेरणा, शक्ति, साहस, मानवता, सहनशीलता, समर्पण, उदारता, प्रेम, पवित्रता, पुरुषार्थ, धन, एकाग्र चित्त, शाकाहा,र प्रकृति का अनुभव, सत्य से सामना, भक्ति, वैराग्य, त्याग। यह सब कुछ जहां पर है वही धर्म है।

अब जब सनातन और धर्म दोनों को मिला दिया जाता है तब इसका मतलब आपको अब आसानी से समझ में आ जाएगा। जैसा ऊपर बताया गया है कि धर्म का मतलब क्या होता है। धर्म के बताए गए जो भी गुण है उनमें से कोई न कोई ऐसा गुण है, जो दुनिया के हर एक चीज में पाया जाता है। इसीलिए इस दुनिया का सबसे पुराना धर्म सनातन धर्म है। 

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सनातन धर्म की व्याख्या

वह सनातन धर्म जो कभी पहले पुराना था न अभी नया है, न आगे पुराना होने वाला है जो सदैव सृष्टि के समय से चला आ रहा है। वही सनातन धर्म है। जो आगे भी निरंतर ऐसे ही चलता रहेगा वही सनातन धर्म है।

सनातन केवल एक धर्म ही नहीं है सनातन एक संस्कृति है। एक मानव कल्याणकारी सिद्धांत है। संसार में मौजूद हर एक जीवो के लिए कल्याणकारी ज्ञान है। इस संसार में मौजूद हर एक वस्तु के लिए वरदान है, वही सनातन धर्म है।

यह आधार में बहुत ही निराला है। इसमें किसी के लिए भी कोई अलग प्रकार की बंधन नहीं है। यह सबके लिए समान है। चाहे वह कोई भी व्यक्ति हो उसके लिए इसमें कोई कुछ भी अलग नहीं होता। जो सबके लिए है जो सबके लिए एक समान है जो सब का कल्याण सोचता । जिससे सब का कल्याण होता है वही है सनातन धर्म।

सनातन संस्कृति के अनेक ग्रंथों में भगवान की वाणी के बारे में बताया गया है। जिसमें श्रीमद्भागवत महापुराण को भगवान ने सबसे उत्तम बताया है। जिसमें उन्होंने बताया है कि सत्यम परम धीमहि। अर्थात जो सत्य है वही शाश्वत है। जो सत्य है वही भगवान है। जो सत्य है वही सब कुछ है।

एक ऐसा धर्म जिसको कभी हानि नहीं पहुंचाया जा सकता हैं। जिसमें किसी भी प्रकार का कोई छेद नहीं किया जा सकता हैं, जिसको कभी जला कर खत्म नहीं किया जा सकता हैं, जिसको कभी सुखाया नहीं जा सकता है, जिसको कभी भुलाया नहीं जा सकता हैं। जिसको कभी मिटाया नहीं जा सकता। वही सत्य है और वही सनातन धर्म है।

सनातन धर्म के सिद्धांत

हर एक धर्म व्यक्ति वस्तु का सिद्धांत होता है ठीक वैसे ही सनातन धर्म का सिद्धांत इस प्रकार है।

इस धर्म में सत्य को सर्वोपरि माना जाता है। क्षमा, दया, जप, तप, यम, अहिंसा इत्यादि प्रमुख सिद्धांत है।

जिसको स्वयं सत्य ने सत्यापित किया है। उसके सिद्धांत से हम सभी लोग जरूर परिचित हैं। सत्य श्री कृष्ण है, भगवान विष्णु है, भगवान श्रीराम है, इस संसार के सब कुछ यही है। 

अलग-अलग धर्मों में सत्य को अलग-अलग नाम से जाना जाता है। जैसे इस पृथ्वी पर एक ही व्यक्ति को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। ठीक इसी प्रकार ईश्वर को लोग अलग-अलग नामों से भी संबोधित करते हैं। लेकिन ईश्वर इस पूरे सृष्टि में एक ही है उनसे अलग कुछ भी नहीं है।

सनातन धर्म की उत्पत्ति

जैसा ऊपर बताया गया है कि सत्य ही सनातन है। जिसका उत्पत्ति सत्य से है वह तो सदा ही विराजमान है। इस संसार में अलग-अलग युग में हम सभी जीव जन्म लेते हैं। 

लेकिन युग बदलने से सत्य नहीं बदलता हैं। ठीक वैसे ही सनातन धर्म की उत्पत्ति सत्य से हुई है। जिसका उत्पत्ति ईश्वर से है। जिसका उत्पत्ति सनातन से है। उसका न कभी अंत है न वो कभी पुराना हो सकता है। क्योंकि सत्य हर समय सत्य होता है।

धर्म का नियम

सभी धर्म का अपना अलग-अलग नियम है जैसे पुत्र के लिए अपने माता-पिता के लिए क्‍या धर्म है। स्त्री के लिए अपने पति के लिए क्या धर्म है। पुत्र का अपने माता के प्रति क्या धर्म है। अलग-अलग व्यक्ति विशेष स्थिति वस्तु के आधार पर धर्म की व्याख्या अलग हो सकती है। लेकिन जो इस पूरे सृष्टि के लिए सभी जीवो पर मानव पर लागू होता है उसका एक ही धर्म है और वह है सत्य धर्म।

FAQ

sanatan dharma kitna purana hai

सनातन धर्म का शुरूआत सत्‍य से हैं। जब से दुनिया में सत्‍य है तब से इसका शुरूआत हुआ हैं। जिसको लगभग 6000 वर्ष का अनुमान हैं जैसा शास्‍त्रो में बताया गया हैं

सारांश

इस लेख में सनातन धर्म के बारे में बताया गया है जिसका मूल्य उद्देश्य सत्य से परिचित कराना है। जो सत्य है वही सब कुछ है और इस संसार के हर एक प्राणी के लिए सत्य शाश्वत है। हर एक प्राणी सत्य को मानता है। इसीलिए सनातन धर्म का मतलब भी सत्य ही है। जिसके बारे में ऊपर विस्तार से बताया गया है।

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