Name Server kya hota hai? नेम सर्वर किसी वेबसाइट के Domain name का IP Address होता है जैसे किसी वेबसाइट को जिस होस्टिंग पर रखा जाता है उस होस्टिंग के द्वारा उस वेबसाइट के लिए एक IP Address उपलब्ध कराया जाता है। जिस (IP Address) नेम सर्वर को डोमिन से कनेक्ट किया जाता है तब वेबसाइट इंटरनेट पर आसानी से लाइव हो पाता है।
इंटरनेट पर उपलब्ध हर एक वेबसाइट का डीएनएस रिकॉर्ड और Name Server होता है। DNS और Name Server दोनों दो अलग-अलग चीजें हैं। लेकिन दोनों आपस में एक दूसरे के साथ Colaborate करते हैं तभी एक वेबसाइट इंटरनेट पर आसानी से काम करता है।
जब हम किसी वेबसाइट को किसी होस्टिंग प्लेटफार्म पर होस्ट करते हैं और उसका डोमिन किसी दूसरे प्लेटफार्म पर उपलब्ध रहता है तब हम अपने होस्टिंग के जो Name Server होता है उस नेम सर्वर को जिस प्लेटफार्म पर हमारा डोमिन रहता है वहां पर DNS में जाकर के नेम सर्वर को कनेक्ट करते हैं.
नेम सर्वर किसे कहते हैं
नेमसर्वर डोमिन नेम का ही एक भाग होता है जब कोई भी यूजर किसी वेबसाइट को ब्राउजर में सर्च करता है तब नेम सर्वर उस वेबसाइट के आईपी ऐड्रेस को बताता है उसके बाद ब्राउज़र उसी आईपी एड्रेस पर रिक्वेस्ट करता है जिसके बाद उस यूजर के ब्राउजर में डाटा दिखाई देने लगता है।
नेम सर्वर IP address को कनेक्ट करने के लिए मदद करता है वैसे इंटरनेट पर जब भी किसी वेबसाइट को खोला जाता है तो उस वेबसाइट को ओपन करने के लिए ब्राउज़र के द्वारा नेम सर्वर (IP Address) को ही रिक्वेस्ट जाता है जिसके बाद Name Server जोकि ip address होता है उस आईपी एड्रेस होस्टिंग के द्वारा उस वेबसाइट के जो भी डाटा होते हैं उसको उस ब्राउज़र पर भेजा जाता है
जब हम किसी वेबसाइट को ओपन करते हैं तो उसके नाम से ही ओपन करते हैं लेकिन जब ब्राउज़र के द्वारा रिक्वेस्ट भेजा जाता है तब उसको नेम सर्वर के द्वारा भेजा जाता है जो Name Server एक आईपी एड्रेस के रूप में होता है जो होस्टिंग और ब्राउज़र के बीच डाटा को आदान प्रदान करने के लिए काम करता है।
जब हम किसी वेबसाइट को CDN इनके द्वारा भी जोड़ते हैं तब यदि हम अपने होस्टिंग सर्वर के द्वारा दिए गए आईपी एड्रेस को अपने Cloudflare अकाउंट से कनेक्ट करते हैं और क्लाउडफ्लेयर को डोमिन से कनेक्ट करते हैं। अब यहां पर क्लाउडफ्लेयर के जो नेम सर्वर होते हैं उसको डोमिन से कनेक्ट कर देते हैं।
जिसके बाद होस्टिंग आईपी ऐड्रेस के द्वारा क्लाउडफ्लेयर से कनेक्ट हो जाता है और क्लाउडफ्लेयर के Name Server के द्वारा डोमिन कनेक्ट हो जाता है। इस तरह से डोमिन क्लाउडफ्लेयर और होस्टिंग तीनों आपस में एक दूसरे के साथ कनेक्ट हो जाते हैं जिसके बाद वेबसाइट हमरा पूरी तरह से लाइव में इंटरनेट पर काम करता है।
अब जब हम कभी भी अपने होस्टिंग सर्वर को बदलते हैं तो सर्वर बदलने के बाद जो नया आईपी ऐड्रेस मिलता है उस आईपी ऐड्रेस को केवल क्लाउडफ्लेयर में जा करके अपडेट कर देते हैं उसके बाद हमारे नए होस्टिंग सर्वर के द्वारा क्लाउडफ्लेयर कनेक्ट हो जाता है और क्लाउडफ्लेयर से हमारा डोमिन कनेक्टेड जाता है
लेकिन यदि बिना क्लाउडफ्लेयर का उपयोग किए हम अपने होस्टिंग सर्वर को बदलना पड़ता हैं तब होस्टिंग सर्वर के द्वारा दिए गए उपलब्ध नेम सर्वर को डोमिन जहां से लिया गया है उस प्लेटफार्म पर जाकर के डीएनएस में Name Server को अपडेट करना पड़ता है जिसके बाद डोमिन होस्टिंग आपस में कनेक्ट हो पाते हैं नेम सर्वर के प्रारूप इस प्रकार का होता है जिसका उदाहरण आप नीचे hosinger ka name server देख सकते हैं।
- ns1.dns-parking.com.
- ns2.dns-parking.com.
नेम सर्वर कैसे काम करता है
जब हम किसी भी वेबसाइट को इंटरनेट पर ओपन करना चाहते हैं तो उसके लिए उस साइट का यूआरएल किसी भी ब्राउज़र में जाकर के टाइप करते हैं और उस पर साइट को ओपन कर लेते हैं।
जब हम किसी वेबसाइट को ओपन करते हैं तब उसी समय जिस ब्राउजर में हम वेबसाइट को ओपन करते हैं तो उस ब्राउज़र के द्वारा अपने वेबसाइट का नाम डालना पड़ता है वहां पर हम उस वेबसाइट के आईपी ऐड्रेस को सर्च नहीं करते हैं लेकिन जब हम वेबसाइट को नाम से सर्च करते हैं
उसके बाद उस वेबसाइट के द्वारा ब्राउज़र नेम सर्वर (IP Address) को ही रिक्वेस्ट भेजता है जिसके बाद नेम सर्वर जो एक आईपी एड्रेस के रूप में काम करता है और होस्टिंग सर्वर से IP address के माध्यम से जो भी डाटा एक्सेस करना चाहते हैं उस को ब्राउज़र के साथ डाटा access करते हैं इस तरह से ब्राउज़र website और नेम सर्वर(IP Address) एक दूसरे के साथ काम करते हैं।
नेम सर्वर और DNS में अंतर
डीएनएस – (डोमेन नेम system) से IP address को कनेक्ट किया जाता है डोमिन नेम सर्वर में यह जानकारी प्राप्त होता है कि इस डोमेन नेम को किस होस्टिंग सर्वर से कनेक्ट किया गया हैं जिसको नेम सर्वर के नाम से भी जाना जाता है आईपी ऐड्रेस नेम सर्वर का ही एड्रेस होता है जो कि किसी particular डोमिन के लिए काम करता है।
एक आईपी ऐड्रेस नेम सर्वर के रूप में डीएनएस रिकॉर्ड के साथ कनेक्ट रहता है जिसके बाद होस्टिंग नेम सर्वर आपस में एक दूसरे के साथ कनेक्ट हो जाते हैं और जब कोई डोमिन नेम को सर्च करता है तो वहां से ब्राउज़र के द्वारा रिक्वेस्ट ip address के पास जाता है और वहां से डाटा को ब्राउज़र को उपलब्ध कराया जाता है।
- सर्वर क्या होता हैं
- डोमिन नेम क्या हैं
- वेब होस्टिंग क्या हैं
- सिंबल नेम इन हिन्दी
- गूगल अकाउंट कैसे बनायें
सारांश
Name Server के बारे में इस लेख में जानकारी दी गई जिसमें नेम सर्वर के परिभाषा एवं नेम सर्वर के काम करने का जो तरीका है उसके बारे में बताया गया है ऐसे ही जानकारी पाने के लिए आप लोग निरंतर इस वेबसाइट को विजिट करते हैं।
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