मानव और मानवता किसे कहते हैं। Manav Aur Manavta Kise Kahate Hain मानव और मानवता में क्या अंतर है। मानव शब्द का मतलब होता है वैसे सभी जीव जिन्हें ज्ञान, शिक्षा, संस्कार, सभ्यता, संस्कृति, सोचने की क्षमता मौजूद हैं, वह सभी मानव की श्रेणी में आते हैं। मानवता मानव शब्द से बना है। मानव में मानवता होना चाहिए।
मानव का सबसे विशेष गुण मानवता ही हैं। जिसमें मनुष्य में मानवता नहीं है, वह मानव की श्रेणी में रहकर भी मानव नहीं है। सही और गलत के बीच अंतर समझने वाला व्यक्ति सही में मानव कहलाने का अधिकारी है।
यह दो शब्द ऐसे हैं, जिनको समझने के बाद इस दुनिया में जितने भी प्राणी है, उन सभी प्राणियों का स्वभाव, संस्कृति, संस्कार बहुत ही उच्च स्थिति में पाया जा सकता है।
मानव किसे कहते हैं
दुनिया में जितने भी मनुष्य है, वह सभी मानव हैं। चाहे स्त्री, पुरुष, बच्चे, बच्चियां, बड़े बूढ़े आदि सभी मानव हैं। मानव शब्द का व्याख्या हैं, जिसके पास मन बुद्धि विवेक इत्यादि है वह मानव हैं।
वर्तमान परिवेश में इन सभी चीजों के होने के बाद भी मानव मानवता से रहित हो गए हैं। आज के समय में जितने भी तरह के गलत कार्य हैं, वह अधिक किए जा रहे हैं। जिसके कारण समाज में मानवता की कमी हो गई है। एक मानव को मानवता से कभी भी समझौता नहीं करना चाहिए।
मानवता किसे कहते हैं
समाज में सामंजस्य स्थापित करने के लिए मानवता शब्द बहुत ही महत्वपूर्ण है। क्योंकि एक बेहतर देश, समाज, राज्य, पड़ोसी की कल्पना तभी की जा सकती है, जब उन सभी के पास मानवता हो।
मानवता शब्द का अर्थ एक दूसरे व्यक्ति के साथ अच्छे आचरण स्थापित करना हैं। लोगों के सुख-दुख में सदैव सहायता करना। किसी के भी साथ बैर भाव इत्यादि को त्याग करना। समाज में एक दूसरे के साथ मिल जुल कर रहना।
यह सभी मानवता के बहुमूल्य सिद्धांत हैं। लेकिन इन सभी सिद्धांतों का तिरस्कार किया जा रहा है, जो कि समाज के हित में नहीं है।
मानव से मानवता खत्म हो जाए, समाज से समरसता समाप्त हो जाए, तब देशराज में बेहतर सामंजस्य की स्थापना नहीं किया जा सकता है। इसीलिए सभी मानव को मानवता के साथ जुड़े रहना चाहिए।
मानवता से बेहतर समाज की कल्पना
मानवता से एक बेहतर समाज की स्थापना की जा सकती है। समाज में लोगों के साथ आपसी भेदभाव मिटाकर एकजुट होकर देश समाज को विकसित बनाना चाहिए।
समाज में भाईचारा, प्रेम, सभ्यता, संस्कार, संस्कृति का स्थापना करने का लक्ष रखना चाहिए। जिससे आने वाली पीढ़ी मानवता के मूल सिद्धांतों से परिचित हो सके।
एक बेहतर समाज की कल्पना तभी की जा सकती है, जब सभी लोग एक दूसरे का सम्मान करें। एक दूसरे के विचार से सहमति प्रदान करें। समाज में महिला पुरुष बच्चे बच्चियां संस्कार, संस्कृति से अपने आप को जोड़कर एक बेहतर मानव जीवन की कल्पना कर सकते हैं।
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सारांश
मानव और मानवता किसे कहते हैं के बारे में इस लेख में जानकारी दी गई है। जिसमें मानय जीवन के बहुमूल्य सिद्धांत एवं विचारों के बारे में बताया गया है
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नमस्कार रवि शंकर तिवारी ज्ञानीटेक रविजी ब्लॉग वेबसाईट के Founder हैं। वह एक Professional blogger भी हैंं। जो कंप्यूटर ,टेक्नोलॉजी, इन्टरनेट ,ब्लॉगिेग, SEO, एमएस Word, MS Excel, Make Money एवं अन्य तकनीकी जानकारी के बारे में विशेष रूचि रखते हैंं। इस विषय से जुड़े किसी प्रकार का सवाल हो तो कृपया जरूर पूछे। क्योकि इस ब्लॉग का मकसद लोगो बेहतर जानकारी उपलब्ध कराना हैंं।