Database क्या है? डेटाबेस दो शब्दों से मिलकर बना हुआ एक समूह हैं डेटाबेस कुछ भी हो सकता है जैसे किसी व्यक्ति का नाम, पता, मोबाइल नंबर, पिता का नाम इत्यादि एक प्रकार का डाटा हैं जिसको रखने के लिए किसी जगह की आवश्यकता होती हैं।
एक समय था जब किसी भी प्रकार के डाटा को अलग-अलग रजिस्टर में लिख कर के रखा जाता था जिसमें किसी भी प्रकार के बदलाव या उसमें हटाने या जोड़ने के लिए काफी समय लगता था। डाटा रखने के लिए अलग-अलग फाइल बनाया जाता था और उसको अलमीरा में नंबर वाइज सजा करके रखा जाता था। जब भी किसी डाटा को देखना होता था उसके लिए फाइल को खोज कर निकाला जाता था और उसके बाद उसको देखा जाता था।
आज भी जहां पर इंटरनेट और कंप्यूटर का उपयोग नहीं किया जाता है वहां पर कुछ छोटे-छोटे डाटा को रजिस्टर में मेंटेन करके रखा जाता है और उसको जरूरत के हिसाब से उपयोग किया जाता है।
वर्तमान समय इंटरनेट और कंप्यूटर का है आज किसी भी तरह के डाटा को ऑनलाइन ही डेटाबेस में स्टोर किया जा रहा है।
डेटा क्या होता हैं
जैसे हमने ऊपर बताया कि डाटा कुछ भी हो सकता है उदाहरण के लिए यदि स्कूल की बात की जाए तो एक स्कूल में जितने भी शिक्षक हैं छात्र हैं या स्कूल के जो भी कर्मचारी हैं उन सभी का विवरण एक डाटा हो सकता है। जैसे एक स्कूल में 10 शिक्षक हैं उनका नाम पता मोबाइल नंबर एड्रेस इत्यादि एक प्रकार का डाटा है तथा उस स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों का भी अलग-अलग नाम पता मोबाइल नंबर क्लास इत्यादि एक डाटा का ही रूप है।
ठीक इसी प्रकार अलग-अलग जगहों पर डाटा का प्रारूप अलग हो सकता है लेकिन डाटा हर एक संस्थान में तैयार किया जाता है चाहे वह कॉलेज हो, ऑर्गनाइजेशन हो या रेलवे टिकट बुकिंग इत्यादि।
डेटाबेस क्या होता है
डेटाबेस एक वस्तुओं का समूह होता है जिसको टेक्स्ट, इमेज, ऑडियो, वीडियो की एक समूह के रूप में होता है। जिसको कंप्यूटर सिस्टम के माध्यम से आसानी से कभी भी एक्सेस किया जा सकता है।
इंटरनेट पर उपलब्ध जितने भी वेबसाइट हैं उन सभी वेबसाइट का डाटा सर्वर पर रखा जाता है। जैसा कि ऊपर बताया गया है कि पहले डाटा को किसी फाइल में तैयार करके अलमीरा में रखा जाता था ठीक वैसे ही आज अलमीरा के जगह पर डाटा को इंटरनेट पर स्टोर किया जाता है।
डेटाबेस एक ऑनलाइन प्लेटफार्म होता है जहां पर डाटा को रखा जाता है। आज डेटाबेस को रखने के लिए एक कंप्यूटर को सर्वर के रूप में उपयोग किया जाता है। जिसमें अलग-अलग वेबसाइट के सारे डेटा को स्टोर किया जाता है। इंटरनेट पर उपलब्ध जितने भी वेबसाइट है उन सभी वेबसाइट का डाटा टेक्स्ट, इमेज, वीडियो, ऑडियो फॉर्मेट में डेटाबेस में स्टोर किया जाता है।
What is Database in hindi
इंटरनेट पर उपलब्ध हर एक वेबसाइट डाटा को स्टोर करने के लिए डेटाबेस का उपयोग करती है। उदाहरण के लिए रेलवे में जो भी टिकट बुकिंग होता है उसमें जितने भी पैसेंजर का डाटा होता है वह सभी डाटा डेटाबेस में स्टोर हो जाता है ठीक इसी प्रकार बैंक में जितने भी लोगों का अकाउंट ओपन होता है उन सभी अकाउंट होल्डर का डाटा डेटाबेस में स्टोर हो जाता है।
अब आप यह भी जानना चाहते होंगे कि जो इंटरनेट पर डाटा स्टाेर हो जाता है वह कहां होता है उसको कैसे देखा जा सकता है। तथा कैसे एक्सेस किया जाता है। किसी भी वेबसाइट पर डाले गए सूचना इंटरनेट के माध्यम से होस्टिंग सर्वर के पास स्टोर होता है। होस्टिंग सर्वर एक प्रकार का कंप्यूटर ही होता है जो 24 घंटे इंटरनेट से कनेक्टेड होता है।
जब किसी वेबसाइट पर कुछ भी लिख करके अपडेट किया जाता है तब वह डाटा होस्टिंग सर्वर वाले कंप्यूटर पर जाकर स्टोर हो जाता है। जब हम उस डाटा को देखना चाहते हैं तब वेबसाइट पर जाकर के उसको एक क्लिक करके देख सकते हैं। जब भी हमें उस डेटाबेस में कुछ भी बदलना हो तो उसको भी इंटरनेट के माध्यम से वेबसाइट पर जाकर के उसको बदल भी सकते हैं। डिलीट कर सकते हैं नया डाटा वहां पर कुछ जोड़ भी सकते हैं।
डेटाबेस का एक उदाहरण
जैसे एक घर होता है और उस घर के अंदर अलग-अलग प्रकार के समान अलग-अलग जगहों पर रखा जाता है। ठीक इसी प्रकार हर एक वेबसाइट का अपना डेटाबेस सेंटर होता है। जहां पर उस वेबसाइट का डाटा स्टोर होता है। जैसे जब भी आप अपने घर से किसी भी सामान को इधर से उधर करना चाहते हैं तो आप कर सकते हैं। उसको बाहर फेंक सकते हैं या नया लाकर रख सकते हैं पुराना को हटा सकते हैं।
ठीक इसी प्रकार इंटरनेट की सहायता से आप वेबसाइट पर जाकर के किसी भी डाटा में एडिट, डिलीट या उसमें कुछ भी बदलाव कर सकते हैं। जैसे घर में रखे गए सामान का मालिकाना हक उस घर के मालिक का होता है। ठीक उसी प्रकार इंटरनेट पर उपलब्ध वेबसाइट के माध्यम से किसी भी प्रकार के डाटा को बदलने हटाने या नया जोड़ने की इजाजत भी उस वेबसाइट के ऑनर या ऑथराइज्ड पर्सन की होती है।
डेटाबेस का इतिहास
इस का इतिहास बहुत ज्यादा पुराना नहीं है क्योंकि 1960 के दशक में पहली बार कंप्यूटरीकृत डाटा को बनाया गया। पहली बार Charles Bachman ने डेटाबेस को बनाया था जो कि एक कंप्यूटरीकृत डेटाबेस था। उसके बाद से डेटाबेस के प्रारूप में कई प्रकार के बदलाव हुए और पहला डाटा जोकि इंटीग्रेटेड डाटा स्टोर आईडीएस के रूप में बनाया गया था। उसके बाद दूसरा डेटाबेस इनफॉरमेशन मैनेजमेंट सिस्टम आईबीएम के द्वारा बनाया गया।
डेटाबेस की सुरक्षा
इंटरनेट पर उपलब्ध जितने भी डाटा हैं वह सभी बहुत ही सुरक्षित हैं। क्योंकि किसी फाइल में रखे गए डाटा को किसी व्यक्ति या समूह के द्वारा उसको किसी प्रकार से छती नही पहुंचाया जा सकता है। इंटरनेट पर उपलब्ध डाटा को किसी भी प्रकार से छेड़छाड़ करने के लिए आपको उसका सिक्योरिटी एक्सेस करना पड़ता है।
जिसके लिए उसका पासवर्ड आपके पास होना चाहिए तभी उसके साथ आप किसी भी प्रकार का बदलाव कर सकते हैं। इसलिए आज जो भी बैंकिंग सिस्टम में सॉफ्टवेयर उपयोग किए जा रहे हैं वह बहुत ही स्ट्रांग होते हैं। जिसके डाटा के साथ छेड़छाड़ करना मुश्किल है इंटरनेट पर मौजूद डाटा बहुत ही ज्यादा सुरक्षित है।
डेटाबेस का उपयोग
Database बनाने के लिए या उसका उपयोग करने के लिए कई सॉफ्टवेयर उपलब्ध है। जिसके द्वारा डेटाबेस तैयार किया जाता है। जब किसी वेबसाइट या एप्लीकेशन को बनाया जाता है उसी समय उस वेबसाइट या एप्लीकेशन के डाटा को स्टोर करने के लिए डेटाबेस सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है।
डेटा के लिए एमएस एक्सेएल, एमएस एक्सेस, माई एसक्यूएल, एसक्यूएल सर्वर, ओरेकल इत्यादि कुछ प्रमुख डेटाबेस मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर है जिसके द्वारा वेबसाइट या एप्लीकेशन के डाटा को मैनेज किया जाता है।
- MS Excel
- MS Access
- My SQL
- Oracle
- MS SQL Server
डेटाबेस मॉडल के प्रकार
डेटाबेस में डाटा कई प्रकार से स्टाेर होता है जिसके लिए डाटा बेस मॉडल के कई अलग-अलग प्रकार हैं।
1. हेरारिकियल मॉडल
इस मॉडल में डाटा का स्ट्रक्चर एक ट्री के स्ट्रक्चर के जैसा होता है। जैसे एक पेड़ होता है और उस में अलग-अलग टहनियां उससे जुड़ी हुई रहती है। ठीक इसी प्रकार इस तरह के डाटा में आपस में सभी टहनियां एक पेड़ के साथ जुड़ी हुई रहती है।
2. नेटवर्क मॉडल
डेटाबेस का एक बहुत ही महत्वपूर्ण एवं शक्तिशाली मॉडल है इसमें सारे नोट्स टेबल के साथ आपस में जुड़े हुए रहते हैं। जैसे किसी एक स्कूल में स्टूडेंट टीचर के सारे सूचना आपस में जुड़े हुए रहते हैं।
3. रिलेशनल मॉडल
रिलेशनल मॉडल के नाम से ही पता चलता है कि इसमें हर एक एनटीटी के साथ डाटा आपस में जुड़ा हुआ है जैसे एक डिपार्टमेंट के प्रोफ़ेसर और उनके द्वारा पढ़ाए गए छात्र सभी आपस में एक दूसरे के साथ रिलेटेड हैं जुड़े हुए हैं। इसे ही डेटाबेस रिलेशनल मॉडल कहते हैं। इस तरह के डेटाबेस में एक टेबल के रूप में रो और कॉलम के रूप में डाटा जुड़े हुए रहते हैं। रिलेशनल डेटाबेस से किसी प्रकार के डाटा को प्राप्त करने के लिए उसका प्राइमरी नंबर का उपयोग करके आसानी से डाटा को प्राप्त किया जा सकता है।
DBMS क्या है
डीबीएमएस का फुल फॉर्म डाटा बेस मैनेजमेंट सिस्टम होता है। डेटाबेस को मैनेज करने के लिए एक प्रणाली होता है जिसके द्वारा डेटाबेस में मौजूद डाटा को एडिट, डिलीट या अपडेट किया जाता है। जिसके लिए सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम की सहायता से बहुत ही आसानी से किसी भी डाटा को एडिट या मैनेज किया जाता है जिसके लिए ऊपर हमने कुछ डेटाबेस मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर का उदाहरण दिया है।
माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल में रो और कॉलम के रूप में सेल होता है। जिस में भी एक डाटा तैयार किया जा सकता है। जैसे किसी व्यक्ति का नाम मोबाइल नंबर, एड्रेस, उम्र इत्यादि का एक डाटा एक बनाया जा सकता है ठीक इसी प्रकार कई बेहतर सिक्योर डेटाबेस मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर है जिससे बड़े-बड़े कंपनियों के डाटा तैयार किया जाता है।
फायदे
- कभी भी डाटा को एनालिसिस किया जा सकता है
- ऑनलाइन डाटा में किसी भी प्रकार की सूचनाओं को आसानी से एडिट किया जा सकता है
- डेटाबेस में मौजूद डाटा को हटाया जा सकता है
- किसी भी प्रकार के नए रिकॉर्ड को आसानी से अपडेट किया जा सकता है
- ऑनलाइन डेटाबेस उपयोग करना बहुत ही आसान है इसमें समय का बहुत ही बचत होता है।
- ऑनलाइन डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम पूरी तरह से सुरक्षित है
- कहीं से कभी भी से एक्सेस किया जा सकता हैा
- ऑनलाइन डेटाबेस सिस्टम बैकअप और रिएस्टो की भी सुविधा प्रदान करता है।
- इसमें डुप्लीकेट डाटा तैयार होने की संभावना बहुत ही कम है
- डेटाबेस में किसी भी प्रकार के डाटा को प्राप्त करने के लिए उसके प्राइमरी अंको का उपयोग करके आसानी से डेटा को प्राप्त किया जा सकता है।
डेटाबेस की विशेषताएं
- आसान और बहुत ही सुरक्षित हैं
- एक क्लिक में डाटा को एक्सेस किया जा सकता है
- गलत जानकारी से बचा जा सकता है
- कहीं से कभी भी इंटरनेट के माध्यम से इसको देखा जा सकता है।
- डेटाबेस में मौजूद डाटा को ग्राफ, चार्ट, इमेज, टेक्स्ट, ऑडियो, वीडियो के अलग-अलग फॉर्मेट में भी एनालिसिस किया जा सकता है।
डेटाबेस के नुकसान
वैसे सामान्य तौर पर डेटाबेस का नुकसान बहुत ही कम है लेकिन ऑनलाइन डेटाबेस के रखरखाव में थोड़ा खर्च अधिक लगता है।
- इसका रखरखाव थोड़ा खर्चीला है
- डाटा बेस बनाने के लिए डाटा प्रबंधक को रखना पड़ता है
- डाटा प्रणाली को बनाने में समय लगता है
- कंप्यूटर इंटरनेट का खर्च बढ़ता है
- बड़े डाटा बेस बनाने के लिए बेहतर एक्सपर्ट लोगों की आवश्यकता होता है।
सवाल जवाब
डेटाबेस क्या है
Database किसी वस्तु व्यक्ति संस्थान में मौजूद शब्दों संख्याओं का एक समूह है।
डेटाबेस का आविष्कार कब हुआ
इसका आविष्कार सन 1960 के दशक में हुआ था लेकिन इसका सामान्य रूप से उपयोग 1970 के दशक में शुरू हुआ।
ऑनलाइन डेटाबेस के फायदे
ऑनलाइन डेटाबेस बनाने का मुख्य उद्देश सूचनाओं को तुरंत प्राप्त करना उसको बेहतर बनाना है क्योंकि ऑनलाइन डेटाबेस में सूचनाओं को तुरंत बदला जा सकता है नया जोड़ा जा सकता है तथा उसको हटाया जा सकता है।
डेटाबेस का उपयोग कहां होता है
किसी भी वेबसाइट के इनफार्मेशन को स्टोर करने के लिए किया जाता है जैसे बड़े-बड़े जो भी बैंक है रेलवे है एयरलाइंस का टिकट बुकिंग है सामान्य वेबसाइट है या कोई भी छोटा वेबसाइट भी है उसके भी डाटा को स्टोर करने के लिए डेटाबेस का उपयोग किया जाता है।
- ऑनलाइन पैसे कैसे कमाए
- एमएस एक्सेस क्या हैं
- कंप्यूटर क्या हैं
- गूगल क्या हैं
- मोबाइल से पैसे कैसे कमाए
सारांश
डेटाबेस क्या होता है डेटाबेस को अच्छे से इस लेख में समझाने का प्रयास किया गया है जिसमें डेटाबेस की हर एक पॉइंट को उदाहरण के साथ बताया गया है जिसमें डेटाबेस में डाटा मॉडल के बारे में भी बताया गया है फिर भी डेटाबेस से संबंधित कोई भी सवाल है तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं।
मेरा नाम रवि शंकर तिवारी हैं मैं ज्ञानीटेक रविजी ब्लॉग वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मैं एक Professional blogger भी हूँ। कंप्यूटर ,टेक्नोलॉजी, इन्टरनेट ,ब्लॉगिेग, SEO, एमएस Word, MS Excel, Make Money एवं अन्य तकनीकी जानकारी के बारे में विशेष रूचि रखता हूँ । इस विषय से जुड़े किसी प्रकार का सवाल हो तो कृपया जरूर पूछे।